कानपुर,02 सितम्बर (हि.स.)। गिद्ध पर्यावरण के सफाई कर्मी का काम करते हुए मानव जीवन को सुरक्षित करने में अहम भूमिका निभाते है। यह बात शनिवार को अंतर्राष्ट्रीय गिद्ध जागरूकता दिवस पर आयोजित एक प्रदेश स्तरीय बेबिनार में कानपुर प्राणि उद्यान के पशु चिकित्सक डॉ. मो.नासिर ने कही।
उन्होंने कहा कि गिद्ध संरक्षण के उद्देश्य से पशु चिकित्सा में उपयोग होने वाले डाइक्लोफिनेक के प्रयोग पर पाबंदी लगाना चाहिए।
गिद्ध पुर्नउद्धार कार्यशाला आयोजित की जानी चाहिए, डाइक्लोफिनेक के सुरक्षित विकल्प का अध्ययन करना चाहिए, इसके साथ ही गिद्ध संरक्षण प्रजनन केन्द्र स्थापित करना चाहिए और गिद्ध संरक्षित क्षेत्र परियोजना का आरम्भ करना चाहिए और उन्होंने अपील करते हुए कहा कि सभी को एक साथ मिलकर गिद्धों को बचाने का प्रयास करना चाहिए।
अंतर्राष्ट्रीय गिद्ध जागरूकता दिवस के अवसर पर कानपुर प्राणी उद्यान,कानपुर तथा बीएनएच.एस मुम्बई की वरिष्ठ जीव विज्ञानी डॉ.अलका दुबे के सहयोग से एक प्रदेश स्तरीय बेबिनार का आयोजन किया गया। जिसमें प्रदेश के 12 वरिष्ठ आईएफएस अधिकारी, 14 मुख्य पशु चिकित्साधिकारी तथा एफआरआई तथा एफआरआर्ठ देहरादून के दो मुख्य जीव विज्ञानी ने शामिल हुए। इसके अतिरिक्त छात्र—छात्राओं ने कानपुर प्राणि उद्यान परिसर के चकोर प्रेक्षागृह में आयोजित गिद्ध जागरूकता विचार गोष्ठी में शामिल हुए।
प्राणि उद्यान प्रशासन द्वारा उपस्थित बच्चों अध्यापकों को गिद्धों की निरन्तर घटती हुई संख्या, प्राकृतिक आवासों के संरक्षण,संवर्धन और इसके समर्थन हेतु जागरूकता बढ़ाने आदि पर प्रकाश डाला तथा सभी को गिद्धों को बचाने हेतु किये गये प्रयासों की जानकारी दी व जनमानस को साथ जोड़ने का आवाहन किया।
पशु चिकित्सक डा.मो.नासिर, कानपुर प्राणि उद्यान ने बताया कि गिद्ध पर्यावरण का सफाई कर्मी का कार्य करते हुए मानव के जीवन में अहम भूमिका निभाते है। वन्यजीव संरक्षण पर काम करने वाली स्पॉन संस्था के रिषभ पाण्डेय तथा अविरल पॉल आदि अन्य पक्षी विज्ञानियों ने भी विस्तृत चर्चा की और गिद्धों के सम्बंध में महत्वपूर्ण जानकारी जनमानस को दी।
कार्यक्रम में क्षेत्रीय वन अधिकारी नवेद इकराम, जनसम्पर्क अधिकारी विश्वजीत सिंह तोमर, बायोलॉजिस्ट नैना पाण्डेय, शिक्षाधिकारी राजाराम साहू समेत अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।