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पौधराेपण के लिए सम्पूर्ण व्यवस्था करने के निर्देश, लगेंगे कई करोड़ पौधे




 वर्षा ऋतु में जनपद के लिए निर्धारित किये गये लक्ष्य के सापेक्ष शत प्रतिशत पौधरोपण के उद्देश्य से कलेक्ट्रेट सभागार में गुरुवार को बैठक हुई। जिला पर्यावरण समिति की बैठक में जिलाधिकारी मोनिका रानी ने निर्देश दिया कि निर्धारित लक्ष्य के अनुसार पौधरोपण के लिए उपयुक्त स्थल का चयन कर लें। साथ ही वर्षा ऋतु से पूर्व ही गड्ढों की खुदाई, पौधों की उपलब्धता तथा सबसे महत्वपूर्ण बिन्दु रोपित गये पौधों की सुरक्षा इत्यादि के सम्बन्ध में प्रभावी कार्ययोजना तैयार कर विभागीय लक्ष्य के अनुसार शत प्रतिशत पौध रोपण की कार्यवाही सुनिश्चित करायें।


बैठक का संचालन करते हुए प्रभागीय वनाधिकारी बहराइच संजय शर्मा ने बताया कि वर्ष 2023-24 में 22 जुलाई 2023 को पूरे प्रदेश में 30 करोड़ तथा 15 अगस्त को 05 करोड़ पौध रोपित किये जाएंगे। जनपद के लिए 80 लाख पौध रोपण का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। जिसके अन्तर्गत 22 जुलाई को 67 लाख 37 हज़ार 270 तथा 15 अगस्त को 12 लाख 64 हज़ार 38 पौधों का रोपण किया जाएगा।


उन्होंने बताया कि 22 जुलाई को वन विभाग बहराइच द्वारा 2168259 व कतर्नियाघाट द्वारा 771785 तथा 15 अगस्त को क्रमशः 400901 व 142753 इस प्रकार वन विभाग कुल 3483698 पौध रोपित किये जाएंगे। जबकि अन्य 25 लक्षित विभागों द्वारा 22 जुलाई 2023 को 37 लाख 97 हज़ार 226 तथा 15 अगस्त को 07 लाख 384 कुल 4517610 पौधों का रोपण किया जाएगा।


जिलाधिकारी द्वारा निर्देश दिये गये कि 22 जुलाई व 15 अगस्त 2023 को वनउत्सव के रूप में साज, सज्जा, रंगोली इत्यादि बनाकर जनप्रतिनिधियों को आमंत्रित कर विभाग के लिए निर्धारित लक्ष्य के अनुसार शत प्रतिशत पौधरोपण कराया जाय। कराये गये वृक्षारोपण का 23 जुलाई को नामित किये गये नोडल अधिकारियों से सत्यापन कराया जायेगा।


उन्होंने जिला कार्यक्रम अधिकारी को निर्देश दिया कि यह सुनिश्चित करें कि कुपोषित बच्चों, गर्भवती महिलाओं के घरों पर शहजन का पौधा अवश्य लगाया जाय। वृक्षारोपण का जिओ टैग फोटोग्राफ भी उपलब्ध कराया जाय। सभी विभाग प्रतिदिन वृक्षारोपण का विवरण प्रभागीय वनाधिकारी को अवश्य उपलब्ध कराये। प्रत्येक विकास खण्ड में ग्राम वन के लिए 10-10 ग्राम पंचायतों को चयनित कर लिया जाय। प्रत्येक ग्राम वन में कम से कम एक हजार पौधे रोपित किये जाय।


जिलाधिकारी ने बैठक में वर्चुअली प्रतिभाग कर रहे खण्ड विकास अधिकारियों को यह भी निर्देश दिया कि जनपद के गौआश्रय स्थलों में संरक्षित गौवंशों के हरे चारे के लिए चरागाहों में नेपियर घास की बुआई भी करा दी जाय।

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