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रामगढ़ में केदला खुली खदान को जल्द मिलेगी ईएमपी क्लियरेंस

 जिले में केदला खुली खदान का एक्सटेंशन जल्द होने की संभावना है। इस परियोजना को ईएमपी क्लीयरेंस जल्द ही मिलने वाला है। इस क्लीयरेंस के लिए शुक्रवार को जनसुनवाई का आयोजन किया गया था। केदला गांव में ही आयोजित हुए इस जनसुनवाई में ग्रामीणों ने उन बातों को रखा, जिस पर सीसीएल के पदाधिकारी को पहल करने की आवश्यकता है। ग्रामीणों की समस्या सुनने के बाद जिला प्रशासन की ओर से उप विकास आयुक्त रोबिन टोप्पो ने सीसीएल प्रबंधन को आवश्यक दिशा-निर्देश दिये।

क्षेत्र में विकास, शिक्षा और स्वास्थ्य का मुद्दा अहम

जनसुनवाई के दौरान केदला मुखिया बिहारी महतो ने ग्रामीणों की तरफ से कई समस्याएं रखी। उन्होंने बताया कि सबसे पहली समस्या जमीन रैयतों की नौकरी और मुआवजे को लेकर है। कई ऐसे रैयत अभी भी मौजूद हैं जिन्हें मुआवजा नहीं मिला है। इसके अलावा पूरे क्षेत्र में सड़क की हालात बदहाल है। बिजली सप्लाई की स्थिति काफी खराब है।

इस क्षेत्र में स्कूल के साथ-साथ केदला से रामगढ़ कॉलेज जाने तक के लिए एक बस चलाने की भी आवश्यकता है। साथ ही अस्पताल को पहले की तरह संचालित करने की भी जरूरत है। इसके अलावा केदला और नवाडीह गांव में पानी की भारी किल्लत है, जिससे ग्रामीण बीमार भी हो रहे हैं। इसके अलावा बालेश्वर तूरी, डोली देवी, सोनाराम मांझी, विनोद महतो, कुलदीप महतो ने भी गांव की समस्या से प्रबंधन को अवगत कराया।

सीसीएल प्रबंधन समस्या को प्राथमिकता देकर करे दूर : रोबिन टोप्पो

जनसुनवाई के बाद डीसी रोबिन टोप्पो ने कहा कि सीसीएल प्रबंधन को समस्याओं पर फोकस करने की जरूरत है। ग्रामीणों ने ऐसी कोई समस्या नहीं रखी है, जिससे सीसीएल को परेशानी होगी। शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली, पानी और सड़क मूल आवश्यकताओं में से एक हैं। ग्रामीणों ने भी इस परियोजना के जल्द शुरू होने की कामना की है। डीडीसी ने बताया कि एक सप्ताह के अंदर पर्यावरण एवं वन संरक्षण विभाग को रिपोर्ट भेज दिया जाएगा। जैसे ही ईएमपी क्लीयरेंस मिलता है, केदला खुली खदान परियोजना शुरू हो सकती है।

केदला खुली खदान से क्या होगा फायदा

केरल खुली खदान परियोजना काफी महत्वपूर्ण परियोजना है। वर्ष 1989-90 में शुरू हुई इस परियोजना ने 0.373 एमटी का अधिकतम उत्पादन कर अपनी एक पहचान बनाई थी। पर्यावरण एवं वन मंत्रालय ने जब वर्ष 2019 में ईएमपी क्लीयरेंस की बात रखी, तो इस परियोजना का काम बंद हो गया था। अब यह परियोजना 1.35 एमटी उत्पादन क्षमता के लिए तैयार है। जल्द ही ईएमपी क्लीयरेंस मिलने के बाद मीनिंग कार्य शुरू होगा। 189.05 हेक्टेयर में फैले इस परियोजना से पूरे जिले को लाभ मिलने वाला है। सबसे बड़ी बात यह है कि इस परियोजना की लागत 101.12 करोड रुपये है, जिसमें प्रत्यक्ष रूप से 280 लोगों को रोजगार मिलेगा। इसके अलावा पूरे क्षेत्र में भौतिक बुनियादी संरचना, सामाजिक बुनियादी संरचना में सुधार होगा। रोजगार की संभावना बढ़ेगी और राजकोष में इसका एक बड़ा योगदान होगा। इस परियोजना से देश में ऊर्जा आवश्यकता को बल मिलेगा। साथ ही खनन के बाद हरित आवरण में भी वृद्धि होगी।


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