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पूजा-मीनाक्षी को मिला परिवार, गोशाला समिति ने किए पीले हाथ

झालावाड़, 28 जून(हि.स.)। शहर की श्री कृष्ण गोशाला में मंगलवार को एक अनूठा विवाह संपन्न हुआ। इस विवाह में खासकर शहरवासियों के अलावा करीब पांच सौ से अधिक गोवंश की मौजूदगी में यह विवाह सम्पन्न हुआ। आयोजन देर शाम तक चलता रहा। इस दौरान दोनों बहनों को 11-11 लाख रुपये तक के उपहार मिले। वहीं शहर वासियों ने भी टेंट लाइट डेकोरेशन समेत अन्य कार्य में अपनी ओर से निशुल्क सेवाएं दी। जिले के माथनिया निवासी पूजा और मीनाक्षी के सिर से माता पिता का साया उठा तो ऊपर वाले ने उनकी परवरिश के लिए पूरा परिवार दे दिया। अब उनको सहारा देने वाली श्रीकृष्ण गोशाला समिति ने मंगलवार को दोनों के पीले हाथ किए। वैवाहिक आयोजन में शहर के कई गणमान्य लोगों ने वर वधु को आशीर्वाद दिया। माथनिया निवासी नेमीचंद चौधरी और उनकी पत्नी गुड्डी बाई की वर्ष 2017 को एक दुर्घटना में मौत हो गई थी। 

उनकी बेटियां पूजा और मीनाक्षी बेसहारा हो गई। ग्राम वासी सहायता के लिए दोनों को श्रीकृष्ण गोशाला के संरक्षक शैलेन्द्र यादव के पास लेकर आए। जहां पहले समिति सदस्यों ने दोनों बहनों को जिला कलक्टर हरिमोहन मीणा से आग्रह कर असनावर स्थित कस्तूरबा आवासीय विद्यालय में रखा। 2021 में वहां से दोनों की शिक्षा पूरी होने के बाद वे गोशाला आ गई। यहां गोशाला समिति सदस्यों ने उनकी देखरेख का जिम्मा उठाते हुए गोशाला परिसर में ही कमरा और भोजन की व्यवस्था की। गत दिनों पूजा (23) का सम्बन्ध मध्यप्रदेश की झीरन निवासी अजय चौधरी और मीनाक्षी (21) का प्रतापगढ निवासी महेन्द्र के साथ हो गया था। गोशाला समिति सदस्यों ने दोनों बेटियों का धूमधाम से विवाह समारोह आयोजित किया। जिसमें वर पक्ष के अतिथियों का गोशाला समिति की ओर से स्वागत किया गया। पूजा और अजय का पाणिग्रहण संस्कार समिति अध्यक्ष दिलीप मित्तल ने किया। 

जबकि मीनाक्षी और महेन्द्र का पाणिग्रहण संस्कार संरक्षक शैलेन्द्र यादव ने किया। समिति सचिव प्रेमचंद दाधीच , कोषाध्यक्ष श्याम सुन्दर विजय, अग्रवाल समाज अध्यक्ष संजय अग्रवाल, विशाल मित्तल, निर्मल पापडिया, महेन्द्र शर्मा सहित गोशाला के कर्मचारियों ने परिवार सहित शामिल होकर दूल्हा दुल्हन को आवश्यक सामान भेंट दिए। इस विवाह समारोह में झालावाड सहित आस पास के क्षेत्र के लोगों ने भाग लिया।आयोजन में तीन हजार मेहमानों को देशी घी से बनी रसोई की व्यवस्था समरसता भोज के रूप में गोशाला परिसर में की गई। गायत्री परिवार ने गोमाता के बीच फेरे की रस्म पूरी की। पूरी गोशाला आकर्षक रोशनी से सजाई।
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