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सीमा में पेड़ लगा पर्यावरण संरक्षण का संदेश फैला रहे शर्मा बंधु

अररिया 21अप्रैल हरेक साल 22 अप्रैल के दिन विश्व पृथ्वी दिवस पर मनाया जाता है और यह दिवस प्रकृति के प्रति जागरुकता फैलाने के उद्देश्य से मनाया जाता है। दिन प्रतिदिन आम लोग बिगड़ते मौसम के प्रतिकूल असर से परेशान है। ऐसे समय मे ज़ब लोग भागदौड़ की जिंदगी मे पर्यावरण संरक्षण को लेकर लापरवाह हो रहे है तो दूसरी तरफ सीमावर्ती क्षेत्र मे पिछले कई वर्षो से वृक्षारोपण कर पर्यावरण संरक्षण का संदेश दे रहे है शर्मा बंधु। इनका कहना है की दिन ब दिन बिगड़ते पर्यावरण की समस्या केवल सभा सम्मेलनों से हल नहीं हो सकती, इसके लिए सबसे जरूरी है आम लोगो के बीच जन जागरूकता। इसके लिए भारत नेपाल सीमा पर यह अभियान चलाया जा रहा है। वही इस अभियान का मकसद पर्यावरण में जन जन की भागेदारी के साथ ही सीमा क्षेत्र के लोग किस तरह से मैत्री भाव से पृथ्वी को हरा भरा रखना है इसका भी संदेश देना है । इसी उद्देश्य को लेकर इंडो-नेपाल मैत्री पर्यावरण संरक्षण अभियान संचालन कर रहे सुरेश शर्मा के सहयोग और दिशा निर्देश पर भारत नेपाल सामाजिक सांस्कृतिक मंच के अध्यक्ष राजेश कुमार शर्मा यह अभियान अपने सहयोगियों के साथ अनवरत चला रहे हैं। सीमावर्ती इलाके मे चलाये जाने वाला यह पहला अभियान है,जो पर्यावरण को बचाने के लिए सीमा में सकारात्मक रूप ले रहा है। पर्यावरणविद अभियंता शर्मा बताते है कि काफी कम समय में इस अभियान की इतनी अधिक लोकप्रियता एवं जन समर्थन मिला है। जिस कारण इससे जुड़े लोग काफी उत्साह से कार्य कर रहे है। वहीं हर दिन किसी न किसी उत्सव कार्यक्रम में लोग पर्यावरण संरक्षण को पौधा लगा रहे है। साथ ही लगाये हुए स्थान पर लगातार पौधे को देख रेख व जल सिंचन किया जाता है। भारत-नेपाल सीमा पर पर्यावरण संरक्षण अभियान में रहे राजेश शर्मा ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण के लिए हम लोगों द्वारा शुरू किए गए इस अभियान को आम लोगों का भरपूर समर्थन मिल रहा है। पेड़ पौधों के कारण ही धरती पर हरियाली बरकरार है। वर्तमान में शहरीकरण के कारण लोग पेड़ पौधों को काटते चले जा रहे है। इससे पर्यावरण पर खतरा मंडराने लगा है। हम सभी को पर्यावरण संरक्षण के प्रति सजग होना पड़ेगा। हमें अपने घर के आस-पास खाली पड़ी जमीन पर अधिक से अधिक फलदार और छायादार वृक्ष लगाना चाहिए। ताकि हम सबों को हर हमेशा शुद्ध और स्वच्छ वायु मिलती रहे। हमें सार्वजनिक जल स्रोत के इर्द-गिर्द भी अधिक से अधिक पेड़ लगाना चाहिए।
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