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दिल्ली महिला आयोग ने परिवहन विभाग को नोटिस जारी किया

नई दिल्ली, 18 अक्टूबर (हि.स.)। दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने परिवहन विभाग को नोटिस जारी करते हुए कहा है कि 21वीं सदी में भी दिव्यांग व्यक्तियों को अपने जीवन में कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। यह शर्मनाक है कि जगहों पर उनकी पहुंच बढ़ाने के बजाय, सरकारी नीतियों के माध्यम से उनकी आवाजाही प्रतिबंधित है। वह यह समझने में विफल है कि इसके लिए अनुमति की आवश्यकता क्यों है और यदि हैं भी, तो उन्हें दिव्यांग व्यक्तियों के लिए प्राथमिकता के आधार पर क्यों नहीं दिया जा सकता है? इस मामले में आयोग ने परिवहन विभाग को नोटिस जारी किया है।

दरअसल एक दिव्यांग लड़की ने दिल्ली महिला आयोग के समक्ष दिव्यांग व्यक्तियों के लिए एक सुलभ वाहन खरीदने के संबंध में एक शिकायत दर्ज करवाई है। उसने बताया है कि वह बौद्धिक अक्षमता, सेरेब्रल पाल्सी से पीड़ित है और चलने फिरने में असमर्थ है।

उसने बताया कि वह एक व्हीलचेयर सुलभ वाहन ‘टाटा विंगर’ खरीदना चाहती है जिसमें वह अपने बैठने को सुगम बनाने के लिए एक मैनुअल व हाइड्रोलिक रैंप लगवायेगी। मगर कार डीलर कंपनी उसे यह कहते हुए निजी इस्तेमाल के लिए उक्त वाहन को बेचने से इनकार कर रही है, कि कार बड़े आकार की है और सरकार इसकी बिक्री की अनुमति केवल व्यावसायिक उद्देश्य के लिए देती है।

उसने आयोग को सूचित किया कि उसके मोटर चालित व्हीलचेयर को समायोजित करने के लिए उक्त वाहन में पर्याप्त जगह है और उसके विशिष्ट उपयोग के लिए उसको बाजार में कोई अन्य विकल्प उपलब्ध नहीं है। उसने अनुरोध किया है कि उक्त वाहन मॉडल को अपने निजी इस्तेमाल के लिए खरीदने के लिए उसे मंजूरी दी जाए। साथ ही, उसने हाइड्रोलिक लिफ्ट और अन्य संबद्ध सुविधाओं को स्थापित करके वाहन को एक अक्षम अनुकूल वाहन में संशोधित करने की मंजूरी मांगी है।

लड़की ने बताया कि 19.12.2018 को आयोजित 'दिल्ली को एक मॉडल सुलभ शहर बनाने के लिए बैठक' में, सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के एक प्रतिनिधि ने कहा था कि यदि कोई दिव्यांग व्यक्ति मंत्रालय और अन्य संबंधित सरकारी एजेंसियों से दिल्ली में अपने निजी इस्तेमाल के लिए निजी पंजीकरण संख्या के साथ डीजल वाहन व संशोधित वाहन (विकलांग व्यक्ति के उपयोग व आवश्यकता के अनुसार) खरीदने के लिए अनुमति लेना चाहता है, तो व्यक्तिगत आधार पर उसका सहयोग किया जा सकता है।

मालीवाल ने आयोग की सदस्य वंदना सिंह के साथ लड़की के घर गयीं और उससे और उसके परिवार से बातचीत की। आयोग ने उन्हें उनकी आवश्यकता के अनुसार एक वाहन प्राप्त करने में पूर्ण सहयोग का आश्वासन दिया।

बातचीत के दौरान उसने बताया कि उसने इस संबंध में सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय, भारत सरकार को पहले ही एक प्रार्थना पत्र भेजा हुआ है और मंत्रालय ने उसके अनुरोध को परिवहन विभाग, दिल्ली सरकार को भेज दिया गया है। स्वाति मालीवाल ने परिवहन विभाग को सिफारिश की है कि लड़की के अनुरोध को अनुमति के लिए प्राथमिकता के आधार पर लिया जाए और तत्काल मंजूरी दी जाए। इसके अलावा आयोग ने परिवहन विभाग से उसे अपेक्षित मंजूरी देने के लिए एक समयसीमा प्रदान करने के लिए कहा है। आयोग ने यह भी पूछा है कि ऐसे अन्य आवेदकों के लिए प्रक्रिया को सरल और सुगम बनाने के लिए विभाग द्वारा क्या कदम उठाए गए हैं।

आयोग ने इस संबंध में कार विक्रेताओं को विभाग द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का विवरण मांगा है। साथ ही, आयोग ने दिल्ली सरकार की सेवाओं की डोर स्टेप डिलीवरी की फ्लैगशिप योजना के तहत ऐसी सेवाओं को सूचीबद्ध करने के लिए विभाग द्वारा उठाए गए कदमों का विवरण भी मांगा है ताकि दिव्यांग व्यक्तियों को इसके लिए इधर-उधर भागने के लिए मजबूर न किया जाए। विभाग को मांगी गयी सूचना के साथ की गई कार्रवाई रिपोर्ट 26.10.2022 तक आयोग को उपलब्ध कराने को कहा गया है।

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