अजमेर, 22 मार्च, पूर्व शिक्षा मंत्री व अजमेर उत्तर के विधायक वासुदेव देवनानी ने कहा है कि कांग्रेस सरकार द्वारा विधानसभा में राजस्थान अधिवक्ता संरक्षण विधेयक 2023 लाया गया है, जो आधा-अधूरा है और इससे अधिवक्ताओं को संरक्षण नहीं मिलेगा।
देवनानी ने मंगलवार को राजस्थान अधिवक्ता संरक्षण विधेयक 2023 पर हुई चर्चा में हिस्सा लेते हुए कहा कि बिल में जो प्रावधान किया गया है, वह निश्चित रूप से अधिवक्ताओं को संरक्षण नहीं देते हैं। वकीलों का काम न्याय दिलाना होता है लेकिन जब उन पर दवाब आता है, तो उनके लिए काम करना मुश्किल हो जाता है और वह सुसाइड तक कर लेते हैं। ऐसे में आवश्यक है कि उनको संरक्षण दिया जाए। उन्होंने कहा कि विधेयक में संरक्षण संबंधी कुछ शब्दों का प्रयोग तो किया गया है, लेकिन उनको परिभाषित नहीं किया गया है। जो शब्द परिभाषित नहीं हैं, उन्हें अधिवक्ता अधिनियम 1961, जो 1961 का केन्द्रीय अधिनियम संख्या 25 है और भारतीय दंड संहित 1860 जो 1860 का केन्द्रीय अधिनियम संख्या 45 में समनुदेशित किया गया है। बिल के अंदर मौकल की परिभाषाएं हैं। अधिवक्ता का क्या अर्थ है, उसको अगर पूरी तरह से परिभाषित किया जाए तो पक्षकार को भी परिभाषित किया जाए। पक्षकार के बारे में जो अभिप्रेरित है, इसका किसी न्यायालय या किसी अधिकरण के समक्ष अधिवक्ता द्वारा प्रतिनिधित्व किया जाए। इसमें विधिक सलाह के लिए सम्पर्कित विधिक दस्तावेज व सूचना पत्र तैयार किए जाने वाला व्यक्ति भी सम्मलित किया जाए। जो विधिक सलाह के लिए भी सम्पर्क कर रहा है, उसको भी उसमें संरक्षण मिलना चाहिए।
उन्होंने कहा कि दण्ड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 154 या तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि में अन्तर्विष्ट किसी बात के होते हुए हुए भी अधिवक्ता के विरुद्ध उसके वृत्तिक कर्तव्यों के निर्वहन के दौरान किए गए किसी कार्य के लिए पक्षकार या विरोधी पक्षकार से किसी संज्ञेय अपराध की कोई रिपोर्ट यदि प्राप्त होती है, तो उसके ऐसे पुलिस अधिकारी जो पुलिस उपअधीक्षक से नीचे की रैक का न हो, द्वारा कोई जांच जो अधिकतम सात दिवस के भीतर पूर्ण की जाएगी, इसके पश्चात ही रिपोर्ट दर्ज की जा सकेगी और यदि कोई मामला दर्ज किया जाता है तो उसकी लिखित सूचना राजस्थान बार काउंसिल को भेजी जाएगी। उन्होंने कहा कि वकीलों को लोन देने का प्रावधान हो, ताकि वकील अपनी व्यवस्था कर सके। साथ ही नए वकील जिनकी कोई वकालात चल नहीं रही है, उनको भी कुछ न कुछ मानदेय देने का प्रावधान किया जाए।