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मौसम के पूर्वानुमान के लिए अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी आधारित प्रणाली होगी विकसित : सीएम सुक्खू

शिमला, 27 अगस्त (हि.स.)। मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा है कि भारी बारिश के कारण होने वाले नुकसान को कम करने के दृष्टिगत वर्तमान में वास्तविक समय के आधार पर मौसम संबंधी पूर्वानुमान के लिए एक सुदृढ़ और अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी आधारित प्रणाली विकसित करना आवश्यक है। वे हिमाचल प्रदेश राज्य आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण की 8वीं बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। मुख्यमंत्री ने आपदा के समय जान-माल को कम से कम नुकसान के दृष्टिगत अग्रसक्रिय रूप से कार्यवाही पर बल दिया। 

बैठक में प्राकृतिक आपदाओं से निपटने और इसके लिए तैयारियों से संबंधित विभिन्न उपायों पर विस्तार से चर्चा की गई। उन्होंने कहा कि प्रदेश के हिमाच्छादित क्षेत्रों में पांच स्वचालित मौसम पुर्वानुमान प्रणालियां स्थापित करना प्रस्तावित है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में जलवायु परिवर्तन हमारे समक्ष सबसे बड़ी चुनौती है और इस समस्या से पार पाने के लिए समुचित कदम उठाना बेहद आवश्यक है। उन्होंने कहा कि ग्लेशियरों के पिघलने से बनने वाली अस्थायी झीलों की निरंतर निगरानी की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि बरसात के दौरान बांधों से पानी छोड़ने के लिए समुचित प्रणाली की अनुपालना सुनिश्चित की जानी चाहिए और बांधों से पानी रूक-रूक कर छोड़ा जाना चाहिए ताकि निचले क्षेत्रों में होने वाले नुकसान को सीमित किया जा सके। .

उन्होंने क्षमता निर्माण उपायों पर बल देते हुए कहा कि राज्य में 47390 स्वयंसेवियों को प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है और आपदा प्रभावित क्षेत्रों में उनकी सेवाएं सुनिश्चित की जाएंगी। ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि आपदा संबंधी हेल्पलाइन नंबर 1077 और 1070 के अतिरिक्त एक अन्य हेल्पलाइन नंबर 1100 को भी इसमें जोड़ा जाना चाहिए ताकि आपदा के समय प्रभावितों को समय पर समुचित सहायता उपलब्ध करवाई जा सके। ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि हिमाचल प्रदेश भूकंप, भू-स्खलन, बाढ़ और बादल फटने जैसी विभिन्न प्राकृतिक आपदाओं के लिए अति संवेदनशील है और आपदा संबंधित जोखिम को कम करने के लिए ऐसी घटनाओं से प्राप्त डाटा का संकलन और इसकी निरंतर निगरानी आवश्यक है।
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