लखनऊ, 28 जुलाई (हि.स.)। हेपेटाईटिस एक ऐसी बीमारी है जिसके कारण लिवर में सूजन आती है और उसे नुकसान पहुंचता है। यह अनुवांशिक कारणों, वायरस, ऑटो इम्यून या विषैले तत्वों के कारण होता है। हर साल 28 जुलाई को विश्व हिपेटाईटिस दिवस लोगों को इस बीमारी से बचाव के बारे में जागरूक करने के उद्देश्य से मनाया जाता है। इस साल इस दिवस की थीम है ‘एक जीवन-एक लिवर’ (वन लाइफ-वन लिवर)।
किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (केजीएमयू) की वरिष्ठ महिला रोग विशेषज्ञ डा. सुजाता देव ने हिन्दुस्थान समाचार को बताया कि हेपेटाईटिस के लिए जागरूकता सबसे जरूरी है।
हेपेटाईटिस ए, बी, सी, डी और ई प्रकार का होता है। यह बीमारी दूषित पानी, शराब और दवाओं के लंबे समय तक सेवन से, विषैले पदार्थों और अनुवांशिक रोग कारक जैसे विल्सन रोग आदि के द्वारा होती है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार कुछ प्रकार के हिपेटाईटिस संक्रमण का टीकाकरण के द्वारा बचाव संभव है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक स्टडी के अनुसार निम्न एवं मध्यम आय वाले देशों में समय से पहले होने वाली 45 लाख मौतों को टीकाकरण, सही समय पर जांचें व दवाएं लेने से और जागरूकता अभियान के माध्यम से रोका जा सकता है।
दूषित पानी और भोजन के माध्यम से फैलता है हेपेटाईटिस ए और ई
हेपेटाईटिस ए और ई दूषित पानी और भोजन के माध्यम से फैलता है जबकि हेपेटाईटिस बी और सी शरीर के संक्रमित द्रव्य जैसे संक्रमित खून, सीमन, योनि के स्राव, और लार से फैलता है। इसके साथ ही असुरक्षित यौन संबंध, संक्रमित सुई के उपयोग से फैलता है।
हेपेटाईटिस ए और ई के संक्रमण को व्यापक साफ सफाई रखकर कर रोका जा सकता है। इसके साथ हेपेटाईटिस ए का टीका भी उपलब्ध है। वहीं हेपेटाईटिस बी और सी के संक्रमण को सुरक्षित यौन संबंध, एक व्यक्ति के साथ ही शारीरिक संबंध बनाना, उचित बायो मेडिकल वेस्ट का निस्तारण, पहले से उपयोग की गई सुइयों के प्रयोग से बचाव कर हम रोक सकते हैं।
हिपेटाइटिस बी का टीका उच्च जोखिम वाले समूह जैसे
डाय बिटिक, लेस्बियन, असुरक्षित यौन संबंध बनाने वालों, सेक्स वर्कर को दिया जा सकता है। हिपेटाईटिस बी से संक्रमित होने के बाद उससे बचाव के लिए हिपेटाइटिस बी के साथ हिपेटाइटिस सी इम्यूनोग्लोबिन के रूप में दिया जाता है।
बच्चे को स्तनपान करा सकती है हिपेटाइटिस बी से संक्रमित महिला
अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स और अमेरिकन कॉलेज ऑफ प्रसूति एवं स्त्री रोग विशेषज्ञ (2018) के अनुसार हिपेटाइटिस बी से संक्रमित महिला बच्चे को स्तनपान करा सकती है। संक्रमित महिला को बच्चे को छह माह तक केवल स्तनपान कराना चाहिए।
गर्भवती महिला को इस बीमारी से बचाव के लिए गर्भवावस्था के समय जांच जरूर करानी चाहिये जिससे कि समय से इलाज हो सके।
नवजात में इसके संक्रमण को रोकने के लिए जन्म के 12 घंटे के अंदर हिपेटाइटिस बी का टीका लगाया जाता है।
गर्भवती यदि हिपेटाइटिस से ग्रसित है तो बच्चेदानी की झिल्ली फट सकती है, जन्म से पहले बच्चे का जन्म हो सकता है। इसके अलावा प्रसव के बाद रक्तस्राव, लिवर संबंधी दीर्घकालिक बीमारी, आंवल का अलग होना, भ्रूण की वृद्धि में रुकावट आ सकती है।