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मानसिक एकाग्रता बढ़ाने के लिए करें वृक्षासन

लखनऊ, 19 जून (हि.स.)। योगासन भारत की बहुत ही प्राचीन विधा है। वृक्षासन मानसिक एकाग्रता बढ़ाने में सहायक है। यह आसन तंत्रिका से संबंधित स्नायुओं के समन्वय और शरीर को संतुलित बनाने सहनशीलता, जागरूकता एवं एकाग्रता बढ़ाने में सहायक है। यह जानकारी योगाचार्य ओम नारायण अवस्थी ने दी। ओम नारायण ने हिन्दुस्थान समाचार को बताया कि यह आसन बच्चों के लिए अति लाभदायक आसान है। इस आसन को करने के पश्चात आप ऊर्जा से परिपूर्ण महसूस करते हैं। यह आसन पैर, हाथों और बाजुयों की मांस-पेशियों में खिंचाव पैदा करता है और आपको पुनः तरो-ताज़ा कर देता है। उन्होंने बताया कि यह मस्तिष्क में स्थिरता और संतुलन लाता है। यह आसन पैरों को मजबूती प्रदान करता है एवं संतुलन बनाने में सहायक है। नसों की दर्द में अत्यंत सहायक है। इस आसन के अभ्यास की अंतिम अवस्था में शारीरिक स्थिति एक पेड़ के आकार की बनती है। इसलिए इस आसन को वृक्षासन नाम दिया गया है। अभ्यास विधि वृक्षासन का अभ्यास करते समय सर्वप्रथम दोनों पैरों में 2 इंच का अंतर रखते हुए खड़े हो जाएं। आंखों के सामने किसी बिंदु पर ध्यान केंद्रित करें। श्वास को शरीर के बाहर छोड़ते हुए दाएं पैर को पड़कर उसके पंजे को बाएं पैर की अंदरूनी जांघ पर रखें। एड़ी मूलाधार क्षेत्र (पेरिनियम)से मिली होनी चाहिए। श्वास को शरीर के अंदर लेटे हुए दोनों हाथों को ऊपर की ओर ले जाकर दोनों हथेलियां को नमस्कार मुद्रा में जोड़ें। इस स्थिति में 10 से 30 सेकंड तक रहें। इस दौरान सामान्य रूप से सांस लेते रहें। श्वास को शरीर के बाहर छोड़ते हुए हाथों को नीचे लाएं, पैर को पूर्व अवस्था में वापस लेकर आएं। शरीर को शिथिल करते हुए इस आसन का अभ्यास पुनः बाएं पैर से करें। अर्थराइटिस के मरीज इस आसन का अभ्यास न करें।
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