Logo
Header
img

Pollution: नाइट्रोजन डाइऑक्साइड के कारण समय से पहले हो सकती है मौत, अस्थमा का भी एक बड़ा कारण

अत्यधिक यातायात से उत्पन्न होने वाली नाइट्रोजन डाइऑक्साइड गैस (एनओ2) स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालती है। एक नए वैज्ञानिक अध्ययन से पुष्टि हुई है कि नाइट्रोजन डाइऑक्साइड श्वसन और संचार संबंधी बीमारी होने के चलते समय से पहले मौत का कारण बन सकती है। यूरोपीय गैर-लाभकारी संस्था स्वास्थ्य और पर्यावरण गठबंधन (एचईएएल) द्वारा किए गए अध्ययन में कहा गया है कि यह श्वसन या हृदय रोगों से पीड़ित लोगों के स्वास्थ्य पर गंभीर असर डालती है।

इसमें कहा गया है कि एनओ2 के संपर्क में आने से श्वसन और संचार संबंधी बीमारी के कारण समय से पहले मृत्यु हो सकती है। यह बीमारी लघु और दीर्घ दोनों तरह के जोखिम उत्पन्न करती है। बच्चों और वयस्कों में अस्थमा की समस्या हो सकती है और बच्चों में ब्रोंकाइटिस हो सकता है। एचईएएल वेबसाइट पर प्रकाशित समीक्षा के अनुसार एनओ2 के विपरीत स्वास्थ्य प्रभावों के बारे में लोग अनभिज्ञ हैं या बहुत कम जानते हैं। इसलिए इसके दुष्प्रभावों को समझना अत्यंत आवश्यक है क्योंकि दुनिया भर के महानगरों में यातायात से होने वाले प्रदूषण की समस्या बढ़ती जा रही है। इंपीरियल कॉलेज लंदन के विजिटिंग प्रो. माइकल क्रिजानोव्स्की ने कहा, शहरों में परिवहन और विशेष रूप से डीजल इंजनों के जरिये हानिकारक एनओ2 गैस का उत्सर्जन हो रहा है।  


पोलैंड में एनओ2 बड़ी समस्या  

नाइट्रोजन डाइऑक्साइड ऊर्जा उत्पादन और कृषि संबंधी क्षेत्रों की सेवाओं में शामिल हैं। वैज्ञानिकों का अध्ययन यूरोप के सबसे प्रदूषित देशों में से एक पोलैंड पर भी केंद्रित है। यहां नाइट्रोजन डाइऑक्साइड से होने वाला प्रदूषण उच्च स्वास्थ्य समस्या का कारण बन रहा है। वायु प्रदूषण की समस्या को देखते हुए एचईएएल ने 2030 तक एनओ2 की उत्सर्जन सीमा को 10 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर वार्षिक औसत में बदलने की वकालत की है।


विशेष निगरानी की सिफारिश

डब्ल्यूएचओ ने भारत समेत एशिया के महानगरों और बड़े शहरों को विशेष रूप से सतर्क किया है। इसके अलावा अध्ययन में स्वास्थ्य जोखिमों के देखते हुए वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) में सुधार का सुझाव दिया गया है। अध्ययन की समीक्षा में  छोटे भौगोलिक क्षेत्रों और कमजोर समूहों, बच्चों की जगहों व वायु प्रदूषण हॉटस्पॉट की निगरानी की भी सिफारिश की गई है। इसमें घनी आबादी वाले स्कूलों में विशेष तौर से निगरानी करने की सिफारिश की गई है।

Top