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घग्घर उफान पर और पानी बढ़ा तो आ सकती है बाढ़

 जिले में घग्घर नदी अब उफान पर है। अगर पंजाब और हरियाणा से पानी की आवक और बढ़ी तो यहां कभी भी बाढ़ आ सकती है। क्योंकि घग्घर बहाव क्षेत्र और सेमनाले की जितनी अधिक से अधिक पानी झेलनी की क्षमता है, उसके आसपास पानी चल रहा है। सेमनाला और घग्घर में और पानी चलाना रिस्क है। सिंचाई विभाग की रिपोर्ट के अनुसार सेमनाले में 10 हजार और घग्घर बहाव क्षेत्र में 5000 क्यूसेक पानी चलाया जा सकता है। बुधवार दोपहर 12 बजे तक सेमनाले में 13915 क्यूसेक और घग्घर बहाव क्षेत्र में 5500 क्यूसेक पानी की आवक हो रही थी। जिला प्रशासन के अब तक के प्रयासों का परिणाम यह रहा कि इन दोनों स्रोतों में क्षमता से अधिक पानी चल रहा है और अब तक की स्थिति कंट्रोल में है। प्रशासन की ओर से पिछले कई दिनों से घग्घर बहाव क्षेत्र और सेमनाले के बंधे मजबूत करवाए गए हैं, जिसके चलते घग्घर और सेमनाले की क्षमता बढ़ गई है। जल संसाधन विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि रिस्क लेकर घग्घर में अधिक से अधिक 6000 और सेमनाले में 14000 क्यूसेक पानी चलाया जा सकता है। इससे ऊपर तो सोचा भी नहीं जा सकता। उन्होंने बताया कि गत वर्ष घग्घर में 5500 क्यूसेक पानी की आवक होने पर कुछ बंधे टूट गए थे, मगर अब 5500 क्यूसेक पानी चलने के बाद भी स्थिति कंट्रोल में है।

दोपहर में राजस्थान में 22574 क्यूसेक पानी हो रहा था रिलीज

पंजाब और हरियाणा से राजस्थान में आज सुबह 12 बजे तक 22574 क्यूसेक पानी की आवक हो रही थी। पानी की बढ़ रही मात्रा से जिला प्रशासन चिंतित है। अधिकारियों ने पहली बार आईजीएनपी में पानी डालकर स्थिति को काबू करने का प्रयास किया, जो अब तक सफल भी रहा। मगर अब पानी की मात्रा लगातार बढऩे से हालात खराब होने की आशंका बढ़ गई है। आज सुबह 12 बजे तक ओटू हैड पर 35925 क्यूसेक पानी की आवक हो रही थी। वहीं टिब्बी स्थित घग्घर साइफन में 19515 क्यूसेक पानी की आपूर्ति हो रही थी, इसमें से 13915 क्यूसेक पानी सेमनाला (आरडी 42) और 5500 क्यूसेक घग्घर के बहाव क्षेत्र (नाली बैड) में छोड़ा जा रहा है। आईजीएफ आरडी 629 पर 3059 क्यूसेक पानी छोड़ा गया है।

रावतसर के चार गांव अति संवेदनशील चिह्नित

जिला कलेक्टर रुकमणि रियार ने बुधवार को आरडी 98, आरडी 108, आरडी 133, आरडी 158 का निरीक्षण किया। उन्होंने अधिकारियों को तटबंधों पर लगातार चौकसी करने और प्रभावी मॉनिटरिंग के निर्देश दिए। वहीं रावतसर के चार गांव अति संवेदनशील में चिह्नित किए गए हैं।


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