लखनऊ मण्डल की मण्डलायुक्त डा.रौशन जैकब के शहर के तिराहों, चौराहों और प्रमुख मार्गो को जाम मुक्त कराने के दावे पर पानी फिर गया है। मण्डलायुक्त के कार्यालय के सामने ही सुबह 11 बजे के बाद यातायात प्रबंधन असफल हो जाता है। कार्यालय के बाहर बड़ी संख्या में खड़े वाहनों के कारण उधर से गुजरने वाले वाहनों की रफ्तार थम जा रही है। वहीं मण्डलायुक्त को भी अपने कार्यालय आने जाने के लिए इसी मार्ग का उपयोग करना पड़ता है।
शहर के मध्य में परिवर्तन चौक से इमामबाड़ा की ओर जाने वाले मुख्य मार्ग पर मण्डलायुक्त कार्यालय स्थित है। मण्डलायुक्त कार्यालय से चंद कदम की दूरी पर कलेक्ट्रेट और सिविल कोर्ट मौजूद है, दोनों ही स्थलों पर प्रतिदिन हजारों की संख्या में अधिवक्ताओं व लोगों का अपने वाहनों से पहुंचना होता है। वाहन पार्किंग में जगह न होने और कुछ दूरी से आने जाने में सुविधा के लिए लोग अपने वाहन को मण्डलायुक्त कार्यालय के सामने खड़ा कर देते हैं।
यातायात प्रबंधन वाले कोसो दूर
मण्डलायुक्त कार्यालय के सामने वाहनों के प्रतिदिन खड़े होते है। यातायात प्रबंधन असफल हो जाता है। ऐसे में यातायात प्रबंधन देखने वाले ट्रैफिक पुलिस के जवान वहां से कोसो दूर रहते है। न जाम की स्थिति से निपटने का कोई प्रबंधन होता मिलता है और ना ही ट्रैफिक पुलिस के जवान मौके पर ही मिलते हैं।
अतिक्रमण हटाओ अभियान का नहीं असर
लखनऊ के मण्डलायुक्त कार्यालय के सामने और आसपास खड़े वाहनों पर नगर निगम के अतिक्रमण हटाओ अभियान का कोई असर नहीं होता। इस मार्ग पर नगर निगम के अधिकारियों की नजर नहीं पड़ती। न ही यहां कोई नगर निगम का अतिक्रमण हटाओ दस्ता ही पहुंचता है। सड़क पर खड़े वाहनों को नगर निगम की कोई गाड़ी उठाकर नहीं ले जाती है।
मण्डलायुक्त कार्यालय में आने वाले होते परेशान
जमीन, सरकारी कागजों, आपत्तियों जैसे मामले लेकर प्रतिदिन सैकड़ों लोग मण्डलायुक्त कार्यालय में आते हैं। मण्डलायुक्त कार्यालय आने वाले लोगों को अपने वाहन खड़े करने में कठनाईयों का सामना करना पड़ता है। कार्यालय के निकट वाहन न खड़ा कर पाने वाले लोग अक्सर काफी दूरी पर अपने वाहन लगाते हैं।