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छंटने लगा अयोध्या की उदासी का अंधेरा

डॉ. दिलीप अग्निहोत्री

छह वर्ष पहले तक अयोध्या उदास और उपेक्षित थी...। आजादी के बाद अपने को सेक्युलर बताने वाली सरकारों को काशी-मथुरा-अयोध्या का नाम लेने में झिझक होती थी। यहां पर्यटन के अनुरूप विकास करने में संकोच होता था। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की डबल इंजन सरकार ने इस धारणा को बदल दिया। यह दुनिया जानती है कि उत्तर प्रदेश तीर्थाटन के लिहाज से बहुत समृद्ध रहा है। यहां के काशी, मथुरा, अयोध्या और सारनाथ जैसे तीर्थस्थल विश्व प्रसिद्ध है। सदियों से चलने वाले अनेक मेले भी बहुत प्रसिद्ध हैं। योगी आदित्यनाथ ने मुख्यमंत्री बनने के बाद तीर्थाटन को अर्थव्यवस्था और सामाजिक एकात्मता से जोड़ने का कार्य किया। पिछले कुंभ में उन्होंने मंत्रिमंडल की बैठक प्रयागराज में आयोजित की थी। यह विकास और संस्कृति के लिए सरकार की प्रतिबद्धता थी। अयोध्या में पांच सदियों का सपना साकार होने जा रहा है। जनवरी में भव्य श्रीराम मंदिर का लोकार्पण होगा। इसके पहले योगी आदित्यनाथ ने अयोध्या में मंत्रिमंडल की बैठक कर सुशासन का संदेश दिया। अनेक महत्वपूर्ण निर्णय लिए। श्री अयोध्या जी तीर्थ विकास परिषद के गठन का प्रस्ताव पारित किया।

कैबिनेट के निर्णय के मुताबिक अयोध्या में भारतीय मंदिर वास्तुकला संग्रहालय की स्थापना होगी। अयोध्या शोध संस्थान को अंतरराष्ट्रीय अयोध्या रामायण एवं वैदिक शोध संस्थान के रूप में विकसित करने का निर्णय लिया गया। श्री देवीपाटन धाम तीर्थ विकास परिषद, शुकतीर्थ क्षेत्र परिषद के गठन का प्रस्ताव पारित भी पारित किया गया। लक्खी मेला हाथरस, मकर संक्रांति तथा बसंत पंचमी मेला अयोध्या, गंगा स्नान मेला अनूपशहर और बुलंदशहर तथा देव दीपावली काशी के प्रांतीयकरण का निर्णय उल्लेखनीय है। यह कहने में संकोच नहीं कि केवल अस्था ही नहीं, तीर्थाटन और पर्यटन की दृष्टि से तीर्थनगरों का विश्व स्तरीय विकास शुरू किया गया है। योगी आदित्यनाथ द्वारा शुरू किए गए दीपोत्सव से अयोध्या की उदासी का अंधेरा छंटने लगा है। इसी के साथ एक सन्देश भी निर्मित हो गया– तमसो मा ज्योतिर्गमय अर्थात अंधेरे से ज्योति की ओर बढ़ने का प्रतीक बन गई है अयोध्या। दीपों का यह पर्व भारत की सांस्कृतिक अस्मिता को सम्पूर्ण प्रकाश के साथ अभिव्यक्त करने का अवसर बन गया। अयोध्या को आधुनिक स्मार्ट सिटी के तौर पर विकसित किया जा रहा है। सरकार ने सैकड़ों पर्यटकों के सुझाव के बाद एक विजन डॉक्यूमेंट भी तैयार किया है। अयोध्या के विकास की परिकल्पना एक आध्यात्मिक केंद्र, वैश्विक पर्यटन हब और एक स्थायी स्मार्ट सिटी के रूप में की जा रही है। कनेक्टिविटी में सुधार के प्रयास जारी हैं। इनमें एयरपोर्ट, रेलवे स्टेशन के विस्तार, बस स्टेशन, सड़कों और राजमार्गों व ढांचा परियोजनाओं का निर्माण शामिल है। ग्रीनफील्ड टाउनशिप भी प्रस्तावित है। इसमें तीर्थ यात्रियों के ठहरने की सुविधा, आश्रमों के लिए जगह, मठ, होटल, विभिन्न राज्यों के भवन आदि शामिल हैं। इसके अलावा अयोध्या में मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश अन्तर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण के गठन के लिए उत्तर प्रदेश अन्तर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण विधेयक का पारण विधानमंडल से कराये जाने के प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है।

उत्तर प्रदेश में गंगा नदी, यमुना नदी एवं अन्य प्रमुख नदियों में कुल ग्यारह राष्ट्रीय जलमार्ग स्थित है। प्रदेश में अपेक्षाकृत सस्ती परिवहन सुविधा उपलब्ध कराने हेतु जल परिवहन एवं जल पर्यटन को विकसित करने के उद्देश्य से प्रदेश स्तर पर भी अन्तर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण का गठन किया जाना है। इस प्राधिकरण के गठन से देश में जल परिवहन, जल पर्यटन तथा पोत परिवहन एवं नौ-वहन के क्षेत्र में विकास, विनियमन एवं पर्यावरणीय सुरक्षा को विकसित किया जा सकेगा। प्रदेश के उत्पादों को बेहतर एवं सस्ती दरों पर देश के अन्य राज्यों तथा विदेशों में निर्यात का अवसर प्राप्त होगा।

(लेखक, स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)

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