बेगूसराय, 31 जनवरी (हि.स.)। आजादी से पूर्व बिहार में गठित अंतिम सरकार के प्रधानमंत्री और आजाद बिहार के प्रथम मुख्यमंत्री डॉ. श्रीकृष्ण सिंह की 63 वीं पुण्यतिथि पर मंगलवार को श्रद्धापूर्वक याद किया गया। इस मौके पर विभिन्न संघ-संगठनों द्वारा कार्यक्रम आयोजित किए गए।
जिला प्रशासन द्वारा लोहिया नगर स्थित इंडोर स्टेडियम तथा समाहरणालय परिसर स्थित कारगिल विजय सभा भवन में समारोह आयोजित किया गया। इंडोर स्टेडियम परिसर में स्थापित प्रतिभा पर डीएम रोशन कुशवाहा, एसपी योगेन्द्र कुमार, डीडीसी सुशांत कुमार, महापौर पिंकी देवी, उप महापौर अनिता राय, माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रदेश उपाध्यक्ष डॉ. सुरेश प्रसाद राय, जदयू नेता चितरंजन प्रसाद सिंह, जिला मुखिया संघ के अध्यक्ष मो. अहसन एवं नगर पार्षद उमेश राय सहित अन्य अधिकारियों ने प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें नमन किया।
मौके पर डीएम रोशन कुशवाहा एवं एसपी योगेन्द्र कुमार ने कहा कि आधुनिक बिहार के निर्माता डॉ. श्रीकृष्ण सिंह हम सबके प्रेरणास्रोत हैं। हम सबको उनके कृतित्व और व्यक्तित्व से सीख लेनी चाहिए। इसके बाद कारगिल विजय सभा भवन में जिला स्तरीय तमाम अधिकारियों ने श्रीबाबू के तैल चित्र पर माल्यार्पण कर उन्हें नमन किया। दूसरी ओर शहीद सुखदेव सिंह समन्वय समिति द्वारा अमरेन्द्र कुमार सिंह की अध्यक्षता में आयोजित कार्यक्रम में नगर निगम चौक पर स्थित प्रतिमा पर माल्यार्पण के बाद श्रीबाबू के कृतित्व और व्यक्तित्व पर चर्चा किया।
मौके पर वक्ताओं ने कहा कि आधुनिक बिहार के निर्माता श्रीबाबू ने आजादी के बाद देश में गंगा नदी पर सबसे पहले रेल-सह-सड़क पुल मोकामा-बेगूसराय के बीच निर्माण कराया। एशिया का सबसे बड़ा रेल यार्ड गढ़हारा उन्हीं की देन है। पूर्वोत्तर बिहार को इंधन जरूरत पूर्ति के लिए रिफाइनरी निर्माण की बात आई तो बिहार के बेगूसराय में उन्होंने इंडियन ऑयल के बरौनी रिफाइनरी की स्थापना करवाई। बरौनी में औद्योगिक संरचनाओं का जाल कराकर इसे बिहार की औद्योगिक राजधानी का दर्जा दिलवाया।
एशिया का सबसे बड़ा इंजीनियरिंग कारखाना एचईसी हटिया, भारत का सबसे बड़ा स्टील प्लांट- सेल बोकारो, भागलपुर और रांची विश्वविद्यालय, रांची वेटरनरी कॉलेज, लोकरंग शाला रविंद्र भवन पटना, डालमियानगर इंडस्ट्रीज, दामोदर वैली कॉरपोरेशन, मैथन और कोसी डैम, कोशी-गंडक-कमला और चानन नदी घाटी परियोजना, पतरातू और बरौनी थर्मल पावर स्टेशन, भारत का पहला खाद कारखाना सिंदरी तथा बरौनी फर्टिलाइजर, पूसा एवं सबौर एग्रीकल्चर कॉलेज, ए.एन. सिन्हा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल इंडस्ट्रीज सहित कई कृतियां बिहार केसरी डॉ. श्रीकृष्ण सिंह की ही देन है।
बिहार केसरी डॉ. श्रीकृष्ण सिंह से सबको सीख लेने की जरूरत है। जब दलित बंधुओं की छाया तक से कुएं का जल अशुद्ध हो जाता था, तब श्रीबाबू ने 1953 में देवघर (बैद्यनाथ धाम) मंदिर में दलितों को प्रवेश एवं पूजा-अर्चना का अधिकार सुनिश्चित करने का काम किया था। बिहार प्रदेश कांग्रेस शिक्षक प्रकोष्ठ के अध्यक्ष अभिषेक कुमार सिंह सहित अन्य राजनीतिक दल के लोगों ने भी बिहार केसरी को श्रद्धापूर्वक याद किया है।