पंजाब के पूर्व मंत्री और शिरोमणि अकाली दल के वरिष्ठ नेता बिक्रम सिंह मजीठिया ने पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से विज्ञापनों पर सालाना 750 करोड़ रुपये खर्च करने के लिए भगवंत मान सरकार के खिलाफ स्वतः संज्ञान लेते हुए कार्रवाई करने की अपील की है।
मंगलवार को चंडीगढ़ में आयोजित पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए अकाली नेता ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट पहले ही कह चुका है कि अगर दिल्ली में विज्ञापनों पर 1100 करोड़ रुपये ही खर्च किए जा सकते हैं तो निश्चित तौर पर सरकार बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए योगदान दे सकती है। उन्होंने कहा कि शीर्ष अदालत ने एक ऐतिहासिक फैसले में यह भी दर्ज किया है कि वह दिल्ली सरकार को विज्ञापनों के लिए इस्तेमाल किए गए फंड के संबंध में हलफनामा दाखिल करने का निर्देश देने के लिए मजबूर है, क्योंकि उसने बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में अपने हिस्से का योगदान करने में असमर्थता व्यक्त की थी।
मजीठिया ने कहा कि पंजाब में मान सरकार भी दिल्ली में अपने आलाकमान द्वारा स्थापित माॅडल का पालन कर रही है। दिल्ली के मामले की तरह पंजाब सरकार ने राज्य की बुनियादी ढांचा परियोजनाओं और विकास की कीमत पर विज्ञापनों के लिए भारी रकम निर्धारित की है। उन्होंने कहा कि स्थिति ऐसी हो गई है कि बाढ़ पीड़ितों के लिए राहत के रूप में 33 करोड़ रुपये की मामूली राशि डिप्टी कमिश्नरों को भेजी गई जबकि इस कार्य के लिए कई सौ करोड़ रुपये की आवश्यकता है।
मजीठिया ने पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से पंजाब सरकार द्वारा किए जा रहे फिजूल खर्च के खिलाफ खासकर आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल को देश भर में एक जगह से दूसरी जगह लेकर जाने के लिए विमान किराए पर लेने के खिलाफ कार्रवाई करने की अपील की है। उन्होंने कहा कि जब राज्य संकट में है, पंजाब सरकार आप क्लीनिक जैसी विफल परियोजनाओं पर पैसा बर्बाद कर रही है, जिसने स्वास्थ्य क्षेत्र को लगभग तबाह कर दिया है।
अकाली नेता ने कहा कि राज्य सभी मापदंडों में पिछड़ रहा है और कानून व्यवस्था सबसे अधिक प्रभावित हुई है। उन्होंने कहा कि इस सरकार को ‘बदलाव’ के बारे में बात करने का शौक है। पंजाब में एकमात्र बदलाव जो हम देख रहे हैं, वह हैं गैंगस्टर कल्चर का उदय, जिसमें दिनदहाड़े हत्याएं होना आम बात हो गई हैं और लाॅरेंस बिश्नोई जैसे खूंखार गैंगस्टर जेल से खुलेआम साक्षात्कार दे रहे हैं।