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जनकवि सुदामा पांडेय 'धूमिल' को जयंती पर याद किया गया

वाराणसी,09 नवम्बर (हि.स.)। जनकवि सुदामा पांडेय 'धूमिल' की जयंती शनिवार को बीएचयू मधुवन में विभिन्न छात्र संगठनों के नेताओं ने संयुक्त रूप से मनाई। इस दौरान शोध छात्र उमेश ने कहा कि धूमिल कवि नही है अपितु ' चेतना ' हैं। धूमिल के चित्र पर पुष्प अर्पित कर अन्य छात्र नेताओं ने कहा कि धूमिल की कविता को हिंदी साहित्य के विद्वानों ने ' अकविता ' कहा। धूमिल एंटी स्टैब्लिशमेंट के रचनाधर्मी रहे। उन्होंने प्रजातंत्र में समाजवाद पर सवाल उठाया और उतने ही शिद्दत से जनता की जड़ सोच पर भी प्रहार किया। धूमिल की रचना को न गद्य की परिभाषा में रख सकते हैं न पद्य में। इस दौरान छात्रों ने उनकी प्रसिद्ध रचनाओं लोहे का स्वाद लोहार से नहीं उस घोड़े से पूछो जिसके मुंह में लगाम होती आदि का वाचन भी किया।


छात्रों ने कहा कि बनारस के खेवली गांव में 1936 में जन्मे जनकवि एक बेहद साधारण परिवार से रहे । 13 वर्ष की कम आयु में ही उनकी शादी हुई और 15 वर्ष की आयु में उनके पिता की असमय मृत्यु हो गयी। परिवार के भरण पोषण की जिम्मेदारी अल्पायु में उनके ऊपर आ गयी। कवि आईटीआई में कार्य किए और साथ ही साथ कविता रचना में लगे रहे। जयंती मनाने में एनएसयूआई के सुमन आनंद,आइसा के रौशन, गुमटी व्यवसायी नेता चिन्तामणि सेठ, डॉ धनञ्जय , डॉ इंदु, शान्तनु , अभिषेक त्रिपाठी आदि शामिल रहे।


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