रांची, 12 सितंबर (हि.स.)। भाकपा माले महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने कहा कि मार्क्सवादी समन्वय समिति (मासस) का भाकपा माले में विलय की प्रक्रिया सफलतापूर्वक पूरी हो गई है। इस प्रक्रिया के तहत मासस के पांच नेताओं को केंद्रीय कमिटी में शामिल किया गया है। इनमें आनंद महतो, हलधर महतो, अरूप चटर्जी, आर डी मांझी और आमंत्रित सदस्य निताई महतो शामिल हैं। उन्होंने कहा कि यह विलय प्रक्रिया ऐतिहासिक महत्व की है और यह झारखंड के साथ-साथ देश की राजनीति को जन आधारित मुद्दों पर संघर्ष को तेज करेगी।
भट्टाचार्य रांची के काली मंदिर रोड स्थित राज्य कार्यालय में संवाददाता सम्मेलन में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि महासचिव ने आगामी जम्मू-कश्मीर, हरियाणा, और महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में इंडिया गठबंधन के सहयोगियों का समर्थन करने की बात की और झारखंड विधानसभा में इंडिया गठबंधन के साथ मजबूत दावेदारी के साथ चुनाव लड़ने का संकेत दिया। उन्होंने कहा कि मजदूर आंदोलन और झारखंड आंदोलन का केंद्र छोटानागपुर रहा है, और भाकपा माले और मासस का आंदोलन भी मजबूत रहा है। पलामू प्रमंडल में भी पार्टी का जनाधार मजबूत है, इसलिए पार्टी यहां भी मजबूत दावेदारी पेश करेगी और भाजपा को झारखंड से बेदखल करेगी।
भट्टाचार्य ने झारखंड में निजीकरण और रोजगार संकट के बढ़ते प्रभाव पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि निजीकरण की वजह से आम लोगों की समस्याएं बढ़ रही हैं और रोजगार के लिए स्थायी समाधान नहीं मिल पा रहा है। केंद्र की भाजपा सरकार झारखंड के खनिज-संपदा और जल-जंगल-जमीन पर एकाधिकार जमाना चाह रही है, जिससे अशिक्षा, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, और पलायन की समस्याएं बढ़ेंगी। उन्होंने कहा कि झारखंड की गठबंधन सरकार को विभिन्न केंद्रीय जांच एजेंसियों और राज्यपाल के माध्यम से शासन-प्रशासन को अस्थिर करने की लगातार कोशिश की जा रही है।
उन्होंने कहा कि महिलाओं के यौन उत्पीड़न, गौ रक्षा के नाम पर लिंचिंग, दलितों पर अत्याचार और मजदूरों के मौलिक अधिकारों पर हमलों के खिलाफ सरकार पूरी तरह से विफल रही है। इन समस्याओं को रोकने और न्याय दिलाने के लिए भाकपा माले हमेशा जन आधारित मुद्दों को विभिन्न आंदोलनों के साथ सदन तक उठाने के लिए अग्रिम पंक्ति में रहेगा।