Logo
Header
img

जनमानस के हृदय से तुलसीदास जी को कोई मिटा नहीं सकता: प्रो. विश्वम्भर नाथ मिश्र

वाराणसी, 23 अगस्त (हि.स.)। धर्म नगरी काशी में बुधवार को गोस्वामी तुलसीदास की 525वीं जयन्ती मनाई गई। विभिन्न संगठनों ने गोष्ठी के जरिए गोस्वामी जी को याद किया। ज्योतिर्गंगा न्यास और भारत अध्ययन केन्द्र, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में बीएचयू के मालवीय मूल्य अनुशीलन केन्द्र में आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी में मुख्य वक्ता अखिल भारतीय सन्त समिति के महामन्त्री स्वामी जीतेन्द्रानन्द सरस्वती ने कहा कि तुलसीदास जी को दलित और स्त्री विरोधी साबित करने का प्रयास करने वाले लोग राजनीति से प्रेरित है। तुलसीदास जी ने सेतु के समान समाज को एक किया। सियाराम मय सब जग जानी के उद्घोष के साथ शैव-वैष्णव, द्वैत-अद्वैत सहित समाज में व्याप्त दूरियों को मिटाया। मुख्य अतिथि प्रदेश के राज्यमंत्री डॉ दयाशंकर मिश्रा ‘दयालु’ ने कहा कि काशी की गलियों में घूमते हुए हम सबने तुलसीदास जी को जाना है। काशी की गलियों में तुलसीदास जी के तमाम पदचिह्न बिखरे पड़े हैं। तुलसीदास जी ने काशी में हनुमान जी के 11 मन्दिर स्थापित किये थे। ये मन्दिर आज भदैनी, शिवाला, हनुमानघाट, नीचीबाग, कर्णघण्टा, दारानगर, हनुमान फाटक, प्रह्लाद घाट और मीरघाट मोहल्लों में स्थित हैं। ज्योतिर्गंगा न्यास के सचिव गोविन्द शर्मा ने कहा कि मुस्लिम आक्रान्ताओं के द्वारा छिन्न-भिन्न की गई काशी को तुलसीदास जी ने नवजीवन दिया। काशी का वर्तमान स्वरूप उन्हीं की देन है। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए श्री संकट मोचन मन्दिर के महन्त प्रो. विश्वम्भर नाथ मिश्र ने कहा कि वर्तमान समय में तुलसीदासजी पर बहुत सारे लोग आक्षेप कर रहे हैं लेकिन जनमानस के हृदय से तुलसीदास जी को कोई मिटा नहीं सकता। जीवन के सारे प्रश्नों का समाधान हमें रामचरितमानस में प्राप्त होता है। विषय प्रस्थापित श्री काशी विद्वत्परिषद् के महामन्त्री प्रो. रामनारायण द्विवेदी ने किया। गोष्ठी में उज्जैन विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. मिथिला प्रसाद त्रिपाठी,सी. एम. एंग्लो बंगाली इन्टर कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ. विश्वनाथ दूबे ने भी विचार रखा। अतिथियों और प्रतिभागियों का धन्यवाद ज्ञापन मुख्य आयोजक भारत अध्ययन केन्द्र के निदेशक प्रो. सदाशिव द्विवेदी ने किया।
Top