कारगिल वार के समय सेना प्रमुख रहे जनरल वेद प्रकाश मलिक ने द्रास की बर्फीली चोटियों पर तैनात सशस्त्र बलों के लिए हमेशा सतर्क रहकर कभी भी दुश्मन पर भरोसा न करने का संदेश दिया है, चाहे वह पाकिस्तान हो या चीन। उन्होंने विश्वास जताया कि अगर आज युद्ध की स्थिति उत्पन्न होती है, तो भारत कारगिल की तुलना में बेहतर तरीके से तैयार है। जनरल मलिक द्रास के लोचामेन व्यू पॉइंट पर एक कार्यक्रम में आए थे, जहां युद्ध नायकों और शहीद सैनिकों के परिवारों ने बहादुर सैनिकों को याद किया। उन्होंने कहा कि कभी भी अपने दुश्मन पर भरोसा मत करो, भले ही समझौतों पर हस्ताक्षर करने जैसा दोस्ती का राजनीतिक दिखावा हो। यह कारगिल युद्ध से पहले भी हुआ था। दोनों देशों ने हाल ही में एक समझौते (लाहौर घोषणा) पर हस्ताक्षर किए थे और हम आश्चर्यचकित रह गए थे। उन्होंने कहा कि कुछ ही महीनों के भीतर मुजाहिदीन या जिहादियों ने नहीं, बल्कि पाकिस्तानी सेना ने हमारे क्षेत्र में घुसपैठ की।उन्होंने कहा कि सुरक्षा बलों को सतर्क रहना चाहिए फिर चाहे वह चीन हो या पाकिस्तान और अगर कोई देश राजनीतिक रूप से मित्रता दिखा रहा है तो भी आत्मसंतुष्टि के लिए कोई जगह नहीं है। जनरल मलिक ने कहा कि युद्धविराम हो या न हो मैंने कई बार युद्धविराम टूटते देखा है। इसलिए इससे कोई फर्क नहीं पड़ता, हमें एलएसी या एलओसी पर सतर्क रहना होगा। उन्होंने कहा कि कारगिल युद्ध इस बात का सबूत है कि भारतीय सेना के पास दुश्मन को खदेड़ने की क्षमता है, भले ही वे अचानक फंस गए हों। उन्होंने कहा कि अगर आज युद्ध की स्थिति उत्पन्न होती है, तो हम लड़ने के लिए तैयार हैं, हम कहीं अधिक सुसज्जित और बेहतर तरीके से तैयार हैं। मानव संसाधन आज भी उतने ही अच्छे हैं जितने 24 साल पहले थे लेकिन आज की तुलना में क्षमताओं में काफी सुधार हुआ है। जनरल मलिक ने कहा कि सशस्त्र बल बदल गए हैं। हमारे पास बेहतर उपकरण, बेहतर निगरानी है और हम हर चुनौती का सामना करने के लिए तैयार हैं। उन्होंने पाकिस्तान के साथ 1999 के कारगिल युद्ध के दौरान की स्थिति को याद किया और कहा कि चुनौतियां केवल इलाके और मौसम तक ही सीमित नहीं थीं, बल्कि उपकरण के हिस्से पर भी थीं। ब्रिगेडियर (सेवानिवृत्त) खुशाल ठाकुर ने कहा कि संघर्षविराम दोनों पक्षों पर निर्भर करता है कि वे इसे कब तक रोके रखेंगे, लेकिन पाकिस्तान ने हमेशा धोखा दिया है। उन्होंने कहा कि भारतीय सेना सक्षम है। उन्होंने कहा कि अब एलओसी पर पाकिस्तान और एलएसी पर चीन है, लेकिन भारत दोनों से निपटने के लिए तैयार है।
युद्ध में हिस्सा लेने वाले लद्दाख स्काउट्स के मानद कैप्टन चीयरिंग स्टॉपडान ने कहा कि युद्धविराम के कारण भारत की ओर से कोई लापरवाही नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि जब सर्दियों में बर्फबारी होती है तो सेना नीचे आती है। दुश्मन उसे देखता है और ऊपर चला जाता है। ऐसा नहीं होना चाहिए। युद्ध में हमने जो हासिल किया उसे हमें नहीं खोना चाहिए। यह बहुत महत्वपूर्ण है।
युद्ध के दौरान कर्नल रहे ब्रिगेडियर (सेवानिवृत्त) ओपी यादव ने कहा कि भारत अब पाकिस्तान की तुलना में कहीं बेहतर और प्रभुत्व वाली स्थिति में है। चीजों में सुधार हुआ है, क्योंकि पूरा डिवीजन आ गया है, वे बहुत अच्छे हैं और जमीन पर हैं। निगरानी क्षमताएं बढ़ी हैं, संचार सुविधाएं बढ़ी हैं, मारक क्षमता भी बढ़ी है।कारगिल युद्ध में भारतीय सशस्त्र बलों के सैनिकों ने सबसे चुनौतीपूर्ण इलाके में कठोर मौसम की स्थिति में लड़ाई लड़ी, जिससे द्रास, कारगिल और बटालिक सेक्टरों में दुश्मन की हार हुई।
कारगिल विजय दिवस की 24वीं वर्षगांठ के अवसर पर मंगलवार को लामोचेन (द्रास) में एक ब्रीफिंग का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के दौरान सेना की उत्तरी कमान के अध्यक्ष लेफ्टिनेंट जनरल उपेंद्र द्विवेदी भी मौजूद रहे। कार्यक्रम की शुरुआत युद्धों के एक ऑडियो विजुअल वर्णन के साथ हुई, जिसमें कारगिल युद्ध को दिखाया गया। इस कार्यक्रम में युद्ध नायकों और वीर नारियों, वीर माताओं और युद्ध के दौरान अपने प्राणों की आहुति देने वाले वीर सैनिकों के रिश्तेदार भी मौजूद थे।
कारगिल विजय दिवस की 24वीं वर्षगांठ के अवसर पर बुधवार को बलिदानियों को श्रद्धांजलि देने के लिए रक्षामंत्री बुधवार सुबह श्रीनगर से हेलीकाप्टर के जरिये द्रास पहुंचेंगे। इसके पहले वह विशेष विमान से श्रीनगर पहुंचेंगे। द्रास में आर्मी कमांडर के साथ कारगिल हिल काउंसिल के चीफ एग्जीक्यूटिव काउंसिलर फिरोज खान उनका स्वागत करेंगे। सेना ने द्रास युद्ध स्मारक को फूलों से सजाया है। सेना के हेलीकाप्टर 26 जुलाई की सुबह स्मारक पर पुष्प वर्षा करेंगे।