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बस्तर दशहरा में पहुंची माता मावली की डोली व दंतेश्वरी के छत्र की रियासतकालीन परंपरानुसार हुई वि??

जगदलपुर, 19 अक्टूबर (हि.स.)। बस्तर दशहरा के अष्टमी तिथि पर मावली परघाव पूजा विधान में शामिल होने दंतेवाड़ा से यहां पहुंची माता मावली की डोली एवं दंतेश्वरी के छत्र की विदाई आज शनिवार सुबह की गई। तय कार्यक्रम के अनुसार मां दंतेश्वरी मंदिर में स्थापित माता मावली की डोली एवं मांई के छत्र की रियासतकालीन परंपरानुसार पूजा व अन्य सामग्री के अर्पण के साथ ही माता मावली की डोली एवं दंतेश्वरी के छत्र को मां दंतेश्वरी मंदिर के गर्भगृह से बाहर निकालकर मां दंतेश्वरी मंदिर के बाहर सिंहद्वार में बने विशाल मंच में रखा गया, जहां माता की आरती व पूजा विधान के साथ ही श्रृद्धालुओं ने भी पुष्पांजली अर्पित कर माता मावली की डोली एवं दंतेश्वरी के छत्र को विदाई दी गई। इस दौरान श्रद्धालुओं में प्रसाद वितरण किया गया।


इस दाैरान मां दन्तेश्वरी मंदिर प्रांगण से गीदम रोड स्थित जिया डेरा तक मावली माता को श्रद्धालुओं ने फूलमाला और पुष्प अर्पित कर आशीर्वाद लिया। इस मौके पर सांसद बस्तर एवं बस्तर दशहरा समिति के अध्यक्ष महेश कश्यप, विधायक जगदलपुर किरणदेव, बस्तर राजपरिवार के सदस्य कमलचंद्र भंजदेव तथा अन्य जनप्रतिनिधियों सहित कमिश्नर बस्तर डोमन सिंह,आईजी बस्तर सुंदरराज पी.,कलेक्टर हरिस एस.,पुलिस अधीक्षक शलभ सिन्हा और जिला प्रशासन के अधिकारियों के साथ ही बस्तर दशहरा समिति के पदाधिकारी, मांझी-चालकी, मेम्बर-मेम्बरीन तथा बड़ी संख्या में गणमान्य नागरिक एवं श्रद्धालू मौजूद रहे।


प्रतिवर्ष बस्तर दशहरा में राजपरिवार के सदस्यों के आमंत्रण पर माता मावली की डोली एवं मां दंतेश्वरी का छत्र जगदलपुर आती है। अष्टमी के दिन मावली परघाव में माता मावली के डोली का भव्य स्वागत किया जाता है, वहीं सभी देवी-देवताओं की विदाई के बाद अंत में माता मावली की डोली एवं दंतेश्वरी के छत्र की विदाई होती है। आज माता मावली की डोली एवं दंतेश्वरी के छत्र की विदाई में हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने ससम्मान विदा करने पहुंचे थे। विदाई से पूर्व सशस्त्र जवानों के द्वारा हर्ष फायर कर सलामी दिये जाने की परंपरा का निर्वहन किया गया। दशहरा समिति की ओर से मांई की भव्य विदाई के दौरान कावड़ों में विदाई सामग्री देने की परम्परा है, जिसका निर्वहन किया गया। माई की विदाई के दौरान कावड़ों में सजाकर सामग्री दी जाती है। इसमें 25 किलो चावल, 11 किलो दाल, 5 किलो घी, आठ किलो सरसों तेल, सात किलो चिराग तेल के अलावा हल्दी, नमक मिर्च, आटा, शक्कर, गुड़, मिठाई, नारियल, अगरबती, कपूर, टिकली, सुपारी, चूड़ी फुंदरी, धूप, लाली, चंदन, आलता, आईना, कंघी व अन्य सामान के अलावा एक काला बकरा भी दिया गया। वहीं आज एक बकरा जगदलपुर स्थित माई दंतेश्वरी को तथा एक बकरा व अन्य सामग्री भण्डार देवी को समर्पित किया गया। इसके साथ ही बस्तर दशहरा अगले वर्ष के लिए परायण के साथ बस्तर दशहरा के सभी पूजा विधान संपन्न किये गये।


वहीं दूसरी ओर दंतेवाड़ा जिला मुख्यालय में बस्तर दशहरा पर्व से शामिल होकर वापसी पर रियासत कालीन परंपरानुसार माता मावली की डोली व मां दंतेश्वरी के छत्र का भव्य स्वागत की तैयारी की जा रही है, आज देर शाम को माता मावली की डोली व दंतेश्वरी का छत्र जगदलपुर से दंतेवाड़ा पहुंचेगी, जहां परंपरानुसार आंवरा भाटा में रेल्वे क्रासिंग के पास रात्रि विश्राम का पड़ाव लगेगा। रात्रि विश्राम स्थल के लिए व्यवस्था किया गया है, यहां से अगले दिन 20 अक्टूबर को दोपहर बाद माता मावली की डोली व मां दंतेश्वरी के छत्र को लेकर काफिला आंवरा भाटा से पैदल चलकर मां दंतेश्वरी शक्तिपीठ मंदिर पहुंचेगा। इस दौरान बाजे-गाजे आतिशबाजी के साथ इसे भव्य रूप देने की तैयारी की गई है।


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