बेंगलुरु, 24 जून (हि.स.)। एफआईएच समावेशन और विविधता दिवस के अवसर पर, भारतीय पुरुष और महिला हॉकी टीमों के सदस्यों ने हॉकी में समानता पर अपने विचार व्यक्त किए।
अनुभवी गोलकीपर और खेल रत्न पुरस्कार विजेता पीआर श्रीजेश ने कहा, "एफआईएच समावेशन और विविधता दिवस इस बात पर प्रकाश डालता है कि हम हॉकी में समान हैं। कोई फर्क नहीं पड़ता कि आपका लिंग, जातीय पृष्ठभूमि, शारीरिक या बौद्धिक क्षमता अलग है। हॉकी सभी के लिए समान है और खेल में समावेशन एक आदर्श है।"
पुरुष टीम के कप्तान हरमनप्रीत सिंह ने कहा, "हम विभिन्न संस्कृतियों, धर्मों और आध्यात्मिक मान्यताओं के खिलाड़ियों से भरी टीम हैं लेकिन खेल हमें एकजुट करता है।
विविधता ही धन है और हमें ऐसे खेल का हिस्सा होने पर गर्व है जो समान अवसर प्रदान करता है।"
पद्म श्री पुरस्कार विजेता वंदना कटारिया, जिनके पास भारतीय महिला हॉकी टीम के साथ 250 से अधिक अंतरराष्ट्रीय मैच हैं, ने अपने पुरुष समकक्षों की भावनाओं को दोहराया।
उन्होंने कहा, "जब मैंने हॉकी खेलना शुरू किया, तो लड़कियों को कभी भी अपने घर से बाहर निकलने की इजाजत नहीं थी। एक लड़की के रूप में, खेल खेलना, शॉर्ट्स पहनना और हर रोज अभ्यास के लिए जाना सामान्य बात नहीं थी। भेदभाव की भावना थी लेकिन पिछले कुछ वर्षों में, यह काफी हद तक बदल गया है और यह बहुत अच्छी बात है कि एफआईएच समावेशन और विविधता दिवस के माध्यम से दुनिया भर में लोगों को अन्य चीजों के अलावा लैंगिक भेदभाव के बारे में भी शिक्षित कर रहा है।"
भारतीय महिला टीम की कप्तान सविता ने कहा, "यह एफआईएच की एक शानदार पहल है। खेल दुनिया को एकजुट करता है और बिना किसी भेदभाव के लोगों को एक मंच पर लाता है।"
उन्होंने कहा, "हमें ऐसे खेल का हिस्सा होने पर बहुत गर्व है जो अगली पीढ़ी के लिए इस आदर्श वाक्य को अपनाने का मार्ग प्रशस्त करता है। हमें अपने प्रारंभिक दिनों में रूढ़िवादिता को दूर करने के लिए चुनौतियों का सामना करना पड़ा, लेकिन मेरा मानना है कि भविष्य की पीढ़ियों के लिए यह इतना मुश्किल नहीं होगा हॉकी इंडिया एफआईएच के साथ मिलकर सही मूल्यों को बढ़ावा दे रहा है।''