राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने कहा कि उन्मेष के दौरान जनजातीय कवि-लेखक सम्मेलन, 'भारत एट सेवन्टी' पर कविता पाठ और मध्यप्रदेश के गीत के सत्रों का आयोजन किया जा रहा है। उन्मेष और उत्कर्ष भारत की विभिन्न परंपराओं को जोड़ने का प्रयास है। यह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के “एक भारत-श्रेष्ठ भारत” के विचार को सफल बनाने की सार्थक और सराहनीय पहल है।
राज्यपाल ने कहा कि भारत दुनिया का ऐसा अद्भुत देश है, जहां से विश्व के समस्त ज्ञान-विज्ञान और दर्शन की विभिन्न धाराएं विश्व में प्रवहमान हुई हैं। हमारे प्राचीन ऋषि-मुनि और संत-परंपरा ने अपने अनुभव-अनुभूति साधना के ज्ञान को मानवता के कल्याण पथ के आलोकन में समर्पित किया है। इसीलिए उनकी रचनाएं देश-काल की सीमाओं से परे आज भी प्रासंगिक हैं। कलात्मकता की शक्ति अद्भुत होती है। राज्यपाल पटेल गुरुवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की उपस्थिति में भोपाल के रवीन्द्र भवन में "उत्कर्ष और उन्मेष" उत्सव को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने राष्ट्रपति मुर्मू के भोपाल आगमन पर उनका स्वागत और अभिनंदन किया और कहा कि भारत की हृदय स्थली मध्यप्रदेश में विभिन्न संस्कृतियां, 21 प्रतिशत जनजातीय आबादी के साथ अनेकता में एकता के सूत्र से बनी माला के मनकों के समान एक साथ, एकजुट होकर रह रही हैं। राष्ट्रपति के आगमन से उन्मेष और उत्कर्ष के आयोजन की गरिमा बढ़ी है, समस्त प्रदेशवासी गौरवान्वित अनुभव कर रहे हैं। सांस्कृतिक विरासत से समृद्ध भोपाल में दोनों कार्यक्रमों का आयोजन, साहित्य एवं कला-प्रेमियों के लिए निश्चित रूप से परम आनंद का विषय है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि 15 देशों के 550 से अधिक विभिन्न भाषाओं के रचनाकारों की 75 से अधिक कार्यक्रमों में सहभागिता का यह उत्सव, कला और संस्कृति की सभी परंपराओं के सामंजस्य का उत्सव बनेगा। राज्यपाल ने कहा कि विचार-भावना और आत्म-शक्ति के समन्वय से ही रचना का सृजन होता है। इसके लिए किसी साधन-संसाधन की आवश्यकता नहीं होती। इसका जीवंत प्रतिरूप जनजातीय समुदाय की कलात्मकता है, जिसकी कला, रचना-कौशल, संगीत और नृत्य, काल की सीमाओं से परे अमिट मूल्यों, मौलिक सादगी और गहन अनुभूति का अद्भुत आभास कराते हैं। भारत की भाषाई, भौगोलिक विविधताओं के उदार मिश्रण ने श्रेष्ठतम साहित्य का निर्माण किया, जिसकी बानगी, अनूठी और अप्रतिम विविधता है। डिजिटल क्रांति के दौर में उत्कर्ष का आयोजन संस्कृति, कला, साहित्य और भाषा के सृजनकारों के बीच वैश्विक विमर्श और सांस्कृतिक मूल्यों के संरक्षण में सहयोगी होगा। भारत की प्राचीन सूक्ति “वसुधैव कुटुंबकम” की प्रामाणिकता के साथ भारत की एकता और श्रेष्ठता को विश्व में स्थापित करने में यह आयोजन सफल होगा। उन्होंने आजादी के अमृत महोत्सव के अंतर्गत अंतरराष्ट्रीय साहित्य, लोक एवं जनजातीय अभिव्यक्तियों के सफल अनूठे आयोजन के लिए संस्कृति मंत्रालय, साहित्य अकादमी तथा संगीत नाटक अकादमी को बधाई दी।