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Article-यह प्रधानमंत्री के सिद्धि संकल्प का बजट है

डॉ. विपिन कुमार केन्द्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण के वित्त वर्ष 2023-24 के संसद में पेश किए गए केंद्रीय बजट में देश की भावी दिशा-दशा का साफ संदेश छिपा है। यह सब जानते हैं कि आज पूरी दुनिया कई तरह के आर्थिक संकट और तमाम अनिश्चिताओं से जूझ रही है। इस दौर में मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के इस अंतिम पूर्णकालिक केंद्रीय बजट ने सभी का ध्यान अपनी ओर खींचा है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि कोरोना महामारी और रूस-यूक्रेन संकट ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के समक्ष कई बड़ी चुनौतियों को खड़ा कर दिया था और ये चुनौतियां बढ़ती ब्याज दरों, महंगाई और वैश्विक आर्थिक मंदी जैसी चुनौतियों से संबंधित थीं। इन कठिन परिस्थितियों में भी उन्होंने संतुलन को बनाए रखने की हरसंभव कोशिश की और यही कारण है कि आज हम दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था हैं। हमारी बढ़ती ताकत और सामर्थ्य का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि प्रधानमंत्री मोदी ने जब 2014 में पहली बार सत्ता संभाली थी, तो उस वक्त हम 10वें स्थान पर थे। गौरतलब है कि इस बजट में यह बात सामने निकलकर आई है कि आज हमारे देश की प्रति व्यक्ति आय 1.97 लाख रुपये हो गई है, जो 9 वर्ष पूर्व की तुलना में दोगुने से भी अधिक है। इन नतीजों से स्पष्ट है कि हमने तमाम चुनौतियों का सामना करने के बावजूद प्रगति की है और आगामी 25 वर्षों में हमें एक वैश्विक महाशक्ति के रूप में स्थापित होने से कोई नहीं रोक सकता है। बहरहाल, इस बार का बजट काफी व्यावहारिक है और इसमें कर सुधारों, गुणवत्तापरक व्यय और राजकोषीय अनुशासन का मिश्रण बेहद ही तार्किक ढंग से किया गया है। इस बजट में पूंजीगत व्यय के लिए 10 लाख करोड़ रुपये रखे गए हैं, जो गत वर्ष की तुलना में 33 प्रतिशत अधिक है। पूंजीगत व्यय का तात्पर्य एक ऐसे निवेश से है, जो किसी देश की भौतिक संपत्ति बनती है। इसके साथ, रेल विभाग में 2.4 लाख करोड़ रुपये और प्रधानमंत्री आवास योजना में 79 हजार करोड़ रुपये का आवंटन किया जाएगा। वहीं, बजट में अगले वर्ष एग्रीकल्चर क्रेडिट के लिए 20 लाख करोड़ रुपये का लक्ष्य रखा गया है। इस बजट में स्वास्थ्य, पोषण, शिक्षा, कृषि, जल संसाधन, वित्तीय समावेशन, कौशल विकास और आधारभूत अवसंरचना जैसे कई क्षेत्रों में सरकारी सेवाओं को बढ़ाने के लिए 500 प्रखंडों को शामिल करते हुए आकांक्षी प्रखंड कार्यक्रम की भी पहल की गई। यह जानना जरूरी है कि किसी भी राष्ट्र के विकास में स्वास्थ्य पर होने वाले खर्च का काफी बड़ा योगदान रहता है। इस बजट में भी भारत को एनीमिया से पूरी तरह से मुक्त बनाने के उद्देश्य के साथ, नये नर्सिंग कॉलेजों और अनुसंधान केन्द्रों की स्थापना का ऐलान किया गया है। इस बजट में 2014 से स्थापित मौजूदा 157 मेडिकल कॉलेजों के साथ कोलोकेशन में 157 नए नर्सिंग कॉलेजों की स्थापना के साथ ही, आगामी 25 वर्षों के दौरान एनीमिया को मिटाने के लिए मिशन मोड में कार्य किया जाएगा और इसके अंतर्गत प्रभावित आदिवासी क्षेत्रों में 40 वर्ष तक के 7 करोड़ लोगों की स्क्रीनिंग की जाएगी। इसके अलावा, बजट में फार्मास्यूटिकल्स के क्षेत्र में अनुसंधान के लिए नए कार्यक्रमों को तैयार करने का भी लक्ष्य निर्धारित किया गया है। सरकार के इस फैसले से भारत दुनिया भर में एक सस्ती दवाओं को उपलब्ध कराने और ‘फार्मेसी कैपिटल’ के रूप में अपनी पहचान के अपने संकल्पों में पूरी तरह से सफल होगा, यह निश्चित है। इस बजट में देश के राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को 5.9 प्रतिशत रखा गया है। बीते वर्ष यह आंकड़ा 6.4 फीसद था। वहीं, अनुमान है कि वर्ष 2025-26 तक राजकोषीय घाटे का स्तर 4.5 प्रतिशत तक आ जाएगा। इन संकल्पों का निहितार्थ यही है कि आने वाले वर्षों में नीतिगत मोर्चे पर भारत, दुनिया भर के निवेशकों को अपनी ओर आकर्षित करेगा और जैसे-जैसे राजकोषीय घाटे का स्तर कम होगा, सरकार की उधारी भी कम होगी और हमें वैश्विक कारणों से बढ़ती महंगाई को भी नियंत्रित करने में अभूतपूर्व सफलता मिलेगी। इस बार बजट में जलवायु परिवर्तन से संभावित खतरों के मद्देनजर विशेष ध्यान रखा गया है। बजट के ‘सप्तर्षि स्तंभों’ में से एक हरित विकास को समर्पित है, जिसके अंतर्गत सरकार का लक्ष्य हरित ऊर्जा को बढ़ावा देते हुए, कार्बन उत्सर्जन की रोकथाम है। इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए कैपेक्स और सब्सिडी, दोनों माध्यमों का सहारा लिया गया है। संक्षिप्त शब्दों में, आज दुनिया भर के विशेषज्ञ भीषण आर्थिक मंदी की आशंका जता रहे हैं। इस सबके बीच दुनिया के सर्वाधिक लोकप्रिय नेता नरेन्द्र मोदी भारत को हर संभावित खतरों से बचाते हुए प्रगति की राह पर ले जाने के संकल्प सिद्धि के साथ आगे बढ़ रहे हैं। यही भारत सरकार के इस बजट का सार है।
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