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धनहा गौतम बुद्ध पुल पर बना सेल्फी प्वाइंट बना पर्यटकों के मुख्य आकर्षण का केंद्र

बिहार के प.चंपारण जिला के भोजपुरी मृदुल भाषी क्षेत्र के महात्मा गांधी की कर्मभूमि रही, वाल्मीकि की तपोभूमि गंडकी के किनारे तथा हिमालय के समीप बसा बगहा पुलिस जिला के धनहा रतवल गौतम बुद्ध सेतू पूल पर इन दिनों सैलानियों की पहुंचने की खबर आ रही है। बिहार के विभिन्न जगहों से सैलानी पहुंचते ही पहुंचते हैं। खासकर उत्तरप्रदेश के सैलानियों का अधिकतर मात्रा में पहुंचना इस बात का मिसाल कायम हो रहा है कि उस स्थल पर कुछ तो है।

सैलानियों के द्वारा लगातार पहुंचकर घण्टों तक अपने मोबाइल फोन से सेल्फी लेना आम बात हो चुकी है। वही महिलाओं में भी इसकी खूब प्रचलन बढ़ रही है। सिर्फत की बात है कि 1990 की दशक में यहां पहुंचना हर किसी की बस की बात नहीं होती थी,क्योंकि तब दस्यु सरगनाओं की सरकार चलती थी और लोग यहां आने से डरते थे, कितने लोगों ने इस भूमि पर अपनी जान गवांकर अपने परिवार के लोगों को पलायन कर, या तो यूपी के क्षेत्रों में शरण ली, नहीं तो बगहा मुख्यालय के इर्दगिर्द कही जा कर बस गये।

फिर क्या था बिहार में एनडीए की गठबंधन की सरकार को ईवीएम बाबा के द्वारा जनता ने बखूबी ताजपोशी करायी, जिसका सूबे की मुखिया नीतीश कुमार बने। नीतीश कुमार को चंपारण का हाल मोकाम विधिवत रूप से जानकारी था, उन्होंने विधानसभा में एक प्रस्ताव पास कर यूपी बिहार को जोड़ने वाली मुख्य सड़क के साथ धनहा गौतम बुद्ध सेतू का शिलान्यास 19 जनवरी 2009 को किया था। वहीं इस ब्रीज का उदघाटन समारोह 26 नवंबर 2013 को पूरे जोश खरोश के साथ किया गया था, जिसके बाद से गंडक पार के लोगों को काफी राहत मिली, क्योंकि पुल नहीं रहने से जिला मुख्यालय बेतिया पहुंचने के लिये लोगों को 4 से 5 दिनों तक सफर कर आना जाना होता था, यहां तक कि लोग अपनी बाइक ,ट्रेक्टर या अन्य मशीनरी सामान यूपी के पडरौना से खरीदना मजबूरी बन गयी थी।स्वास्थ्य के मामले में आज भी लोगों का पडरौना ही एक मात्र जगह बचा है, जहां पर बेहतर इलाज कराने की गुंजाइश बची हुई है। बिहार सरकार की शुशासन की सरकार इस पर पीछे चल रही है,हालाकि 90 की दशक में सड़क था ही नहीं जबकि वर्तमान में सड़क का जाल बिछा दिया गया है।

दस्यु सरगनाओं का पुलिस प्रशासन के दबिश के कारण पूरी तरह से बंद हो गया,क्योंकि कुछ डकैतों ने सरकार के सामने आत्म समर्पण कर दिया तथा बाकि के चोर उच्चकों ने दिल्ली पंजाब जैसे शहरों में रिक्शा चला कर अपनी जिंदगी की तलाश में वयस्त हैं, जबकि इस समय रात्रि के किसी भी समय आप गौतम बुद्ध सेतू पार कर अपने गंतव्य स्थान तक जा सकते हैं। हालांकि पुलिस की चौकसी पूल की निगरानी 24 घन्टे की जाती है।इसी का नाम गौतम बुद्ध सेतू सेल्फी प्वाइंट बन गया है।जो हर एक सवारी गाड़ी रुकती है तथा कैमरे के सामने उनकी तस्वीरें होती है, जो फेशबुक को महत्व बढ़ाया जाता होता है। इस गौतम बुद्ध पूल ने यूपी बिहार के रिश्तों को काफी मजबूत करने में अपनी अहम भूमिकाओं से लोगों की भावनाओं की कद्र बढ़ गयी है। जो बिहार राज्य सरकार उसका सही मायने में हकदार है।रही बात लोगों में विश्वास की तो इस मुख्य मार्ग से आप देश के हर कोने में आ जा सकते हैं।

कहते हैं ग्रामीण... धनहा रँगललही मधुबनी तमकुहा , बांसी सहित पूर्व प्रमुख मधुबनी उदय प्रताप सिंह, मधुबनी प्रखंड प्रमुख विजया सिंह,प्रमुख प्रतिनिधि विजय सिंह चंदेल, समाजसेवी यशवंत प्रताप सिंह उर्फ गुड्डू बाबू, विकास सिंह , मुखिया प्रतिनिधि भगीरथी गुप्ता, संतोष यादव प्रभु कुशवाहा आदि लोगों ने कहा कि मुख्य सड़क मार्ग बनने के साथ गौतम बुद्ध सेतू गंडक पार के लोगों का आत्मीयता का समान्नित एक दूसरे के दिल का मिलना मिलकर बिछड़ना तथा बिछड़ कर मिलना इस सेतू का ताकत है, जो गुंडागर्दी और डाकुओं की कहर से लोग अपने परिवारों को किस सुरक्षित स्थान पर ले गये किसी को पता ही नहीं चला था।एक बार फिर एक नई क्रांति के साथ भगवान गौतम बुद्ध ने पलायन कर भागे हुये लोगों को एक बार फिर से मिला दिया,धन्यवाद है इस गौतम बुद्ध सेतू का

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