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सिख विरोधी दंगे में टाइटलर के खिलाफ चार्जशीट पर 26 जुलाई को फैसला सुनाएगा कोर्ट

 दिल्ली के राऊज एवेन्यू कोर्ट ने 84 के सिख विरोधी दंगों को लेकर कांग्रेस के पूर्व नेता जगदीश टाइटलर के खिलाफ दाखिल चार्जशीट पर संज्ञान लेने के मामले पर फैसला टाल दिया है। एडिशनल चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट विधि गुप्ता आनंद ने 26 जुलाई को फैसला सुनाने का आदेश दिया। आज सीबीआई की ओर से पेश वकील ने कोर्ट से समय मांगा। सीबीआई ने कहा कि आरोपित के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 188 के तहत शिकायत दर्ज करने या उसे हटाने को लेकर निर्देश देना है, जिसके बाद कोर्ट ने 26 जुलाई को सुनवाई करने का आदेश दिया।

कोर्ट ने 7 जुलाई को फैसला सुरक्षित रख लिया था। 2 जून को कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई एमपी एमएलए कोर्ट में ट्रांसफर कर दिया था। इसके पहले कोर्ट ने आर्म्स डीलर अभिषेक वर्मा के बयान दर्ज करने में देरी पर सीबीआई को फटकार लगाई थी। कोर्ट ने कहा था कि इस मामले के 35 साल बीत गए और कई बार जांच में तेजी लाने के आदेश दिए गए। गवाह भी आगे आए लेकिन सीबीआई केवल धारा 161 के तहत बयान दर्ज कर संतुष्ट हो गई। कोर्ट ने सीबीआई से पूछा था कि उन बयानों पर गवाहों के दस्तखत तक नहीं हुए हैं। कोर्ट ने कहा था कि अगर सीबीआई चाहती है तो वो अभिषेक वर्मा का बयान धारा 164 के तहत दर्ज कर सकती है। धारा 164 के तहत मजिस्ट्रेट बयान दर्ज करता है। अभिषेक वर्मा ने 2017 में दिल्ली पुलिस को शिकायत दी थी और अपनी सुरक्षा बढ़ाने की मांग की थी। अभिषेक वर्मा को ई-मेल के जरिये जान से मारने की धमकी दी गई थी।

अभिषेक वर्मा 1 नवंबर, 1984 में दिल्ली के पुलबंगश में तीन सिखों की हत्या के मामले में गवाह है। 1 नवंबर, 84 को जिन सिखों की हत्या हुई थी उनमें बादल सिंह, ठाकुर सिंह और गुरचरण सिंह हैं। तीनों की हत्या पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद की गई थी। इस केस को नानावटी कमीशन ने दोबारा खोलने का आदेश दिया था।

सीबीआई ने इस मामले में टाइटलर के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 147, 109 और 302 के तहत लगाया है। सीबीआई के मुताबिक टाइटलर ने भीड़ को उकसाया था। उसके बाद भीड़ ने पुलबंगश के गुरुद्वारे में आग लगा दी थी।

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