लोकतांत्रिक अधिकार के तहत आंदोलन करने के कारण शिक्षक नेता राजू कुमार को निलंबित किए जाने से सिर्फ शिक्षक संघ ही नहीं, शिक्षा से जुड़े सभी लोगों में आक्रोश है। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं ने आज संयुक्त बयान जारी कर राजू कुमार के निलंबन का विरोध किया गया है।
विद्यार्थी परिषद के पूर्व राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य अजीत चौधरी ने कहा कि आज जिस प्रकार शिक्षा विभाग, शिक्षक नेताओं के खिलाफ कड़ा निर्णय ले रही है, वह बिल्कुल ही हिटलर शाही शासन के तरह है। शिक्षा विभाग के पदाधिकारी स्वयं कर्तव्य हीनता दिखाते रहते हैं। लेकिन अपने से नीचे स्तर के शिक्षकों एवं शिक्षक नेताओं पर कार्रवाई करते हैं जो नैतिकता के विरुद्ध है।
विभाग संयोजक सोनू सरकार एवं जिला संयोजक पुरुषोत्तम कुमार ने कहा कि आंदोलन करना नागरिकों का संवैधानिक अधिकार है। जिसे शिक्षा विभाग तो क्या, मुख्यमंत्री भी नहीं छीन सकते हैं। लेकिन शिक्षा विभाग का यह निर्णय दुर्भावना और पूर्वाग्रह से ग्रसित है। गिने चुने लोगों पर कार्रवाई कर पदाधिकारी अपना रौब दिखाना चाहते हैं जो बिल्कुल ही गलत है।
राज्य विश्वविद्यालय कार्य प्रमुख कन्हैया कुमार एवं कौशिक झा ने कहा कि आज भी शिक्षा विभाग भ्रष्टतम विभागों में गिना जाता है। जांच के नाम पर पैसा उगाही कर खानापूर्ति किया जा रहा है लेकिन पदाधिकारियों के कोप भाजन का शिकार शिक्षक बन रहे हैं, जिसे विद्यार्थी परिषद कभी बर्दाश्त नहीं करेगा। बंटी गौतम एवं आकाश कुमार ने कहा कि विद्यार्थी परिषद अब शिक्षा विभाग के खिलाफ आर-पार की लड़ाई रहेगी। क्योंकि शिक्षा विभाग तानाशाही रवैया अपनाकर आर्थिक एवं मानसिक शोषण कर रहा है।