जिले के नक्सल प्रभावित कई बीहड़ इलाके ऐसे हैं, अब तक जहां सड़क नहीं पहुंच सकी है, जिसका खामियाजा ग्रामीणों को भुगतना पड़ रहा है। ऐसे ही एक ग्रामीण जिसे बचाने के लिए तत्काल अस्पताल में भर्ती कराने की जरुरत थी, लेकिन गांव से चार किलोमीटर दूर सड़क का आखिरी छोर था, जहां तक एंबुलेंस आ सकती थी। लिहाजा ग्रामीणों ने मरीज को चारपाई पर लादकर जंगली रास्ते को पार करते हुए उसे एंबुलेंस तक पहुंचाया गया। जहां से मरीज को एंबुलेंस से अस्पताल में ले जाकर भर्ती किया गया। जहां गंभीर मरीज का उपचार जारी है।
मिली जानकारी के अनुसार मेटापाल गांव में चार दिनों से राजेश पोडियम नाम के युवक की तबीयत खराब थी, जिसे घरवालों ने पहले बैगा को दिखाया, लेकिन राजेश की तबीयत में कोई सुधार नहीं हुआ। चार दिन बीतने के बाद ग्रामीणों ने डायल 112 में कॉल किया, लेकिन जब एंबुलेंस को लोकेशन बताया गया तो पता चला कि जिस गांव में मरीज है, उस गांव तक सड़क नहीं जाती है, इसलिए मरीज को नजदीकी सड़क तक लाना होगा। बस फिर क्या था ग्रामीणों ने चारपाई को ही स्ट्रेचर बनाया और चार किलोमीटर का सफर कंधाें में लादकर पैदल एंबुलेंस तक पहुंचाया गया, तब जाकर मरीज काे अस्पताल में उपचार मिल सका। इससे अनुमान लगाया जा सकता है कि नक्सल प्रभावित इलाकाें के ग्रामीणाें का जीवन कितना कठिन है। वहीं नक्सली इन इलाकाें में किसी काे भी मुखबिरी का आराेप लगकर बेदम पीटने और हत्या तक करने की वारदात काे अंजाम देते रहते हैं, यह स्थानीय ग्रामीणाें के जीवन काे और भी कठिन बना देता है।